कलम मेरी मोरपंख
लिख देते ह्रदय के बोल ..
जब बज उठता मेरे ह्रदय का शंख
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
देते पन्नों में स्याही घोल ..
जब जब खुलते मेरे मन के पट ,बंद
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
करते नाप तोल..
जब जब करने बैठती ,तन्हाइयों का अंत
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
बातें करती अनमोल ..
जब जब खिलता मेरे मन का बसंत
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
देती मुझको पंख ..
जब जब छूना चाहती, मैं आसमां अनंत
{चित्र गूगल से }