कलम मेरी मोरपंख
शब्द मेरे; कलम मेरी मोरपंख
लिख देते ह्रदय के बोल ..
जब बज उठता मेरे ह्रदय का शंख
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
देते पन्नों में स्याही घोल ..
जब जब खुलते मेरे मन के पट ,बंद
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
करते नाप तोल..
जब जब करने बैठती ,तन्हाइयों का अंत
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
बातें करती अनमोल ..
जब जब खिलता मेरे मन का बसंत
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
देती मुझको पंख ..
जब जब छूना चाहती, मैं आसमां अनंत
{चित्र गूगल से }
लिख देते ह्रदय के बोल ..
जब बज उठता मेरे ह्रदय का शंख
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
देते पन्नों में स्याही घोल ..
जब जब खुलते मेरे मन के पट ,बंद
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
करते नाप तोल..
जब जब करने बैठती ,तन्हाइयों का अंत
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
बातें करती अनमोल ..
जब जब खिलता मेरे मन का बसंत
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
देती मुझको पंख ..
जब जब छूना चाहती, मैं आसमां अनंत
{चित्र गूगल से }
9 Comments:
जब जब खिलता मेरे मन का बसंत
शब्द मेरे ; कलम मेरी मोरपंख
देती मुझको पंख ..
जब जब छूना चाहती, मैं आसमां अनंत....
ऋतू जी,...सुंदर पंक्तियाँ,...
बहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...
MY NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जब जब छूना चाहती, मैं आसमां अनंत....
ऋतू जी,सुंदर पंक्तियाँ,
MY NEW POST maan
गहरी बात
वाह! वाह! वाह! रितु जी.
लाजबाब प्रस्तुति.
आभार.
कलम मेरी मोरपंख......bahut khoobsurat upma.
खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात..
बहूत सुंदर रचना..
सुंदर भाव अभिव्यक्ती...
बहुत सार्थक और सटीक अभिव्यक्ति!
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