Wednesday, 15 February 2012

देखें ..

पाँव के नीचे ज़मी है ,
                          देखें सर पे आसमां कितना है
गुज़र गई जो उम्र अब तक ,
                          देखें उसमे फ़ासला कितना है
जुबां पे नहीं पर जो दिल में थे जज़्बात ,
                          देखें उनमे हौसला कितना है
कुछ सुनी अनसुनी जो बात ,
                         देखें उसमे माजरा कितना है
क्यों समझते नहीं ता उम्र की ,
                        प्यार में फायदा कितना है
उम्र भर गैरों से किये जो बात ,
                        तो इसमें कायदा कितना है ?

        
(चित्र गूगल से लिया है )

11 Comments:

At 15 February 2012 at 00:58 , Blogger Shri Sitaram Rasoi said...

आपने हमारे चक्र पढ़े और प्रशंसा की दो अमृत-धाराएं भी बहा दी। धन्यवाद देना था और इसी सिलसिले में आपकी सुन्दर कविताएं पढ़ने का सौभाग्य भी मिला। वैसे अभी लेख पूरा नहीं हुआ है, उसमें कुछ चित्र भी डालने हैं, दो चार दिन बाद फिर पढ़ना। और अलसी को जरूर आजमाना।
http://flaxindia.blogspot.in
डॉ. ओम वर्मा

 
At 15 February 2012 at 01:54 , Blogger vandana gupta said...

सुन्दर भावाव्यक्ति।

 
At 15 February 2012 at 03:13 , Blogger सदा said...

वाह ...बहुत बढिया।

 
At 15 February 2012 at 07:42 , Blogger धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना,...

MY NEW POST ...कामयाबी...

 
At 15 February 2012 at 10:10 , Blogger Atul Shrivastava said...

गहरे भाव।
सुंदर रचना।

 
At 15 February 2012 at 19:35 , Blogger Rakesh Kumar said...

आपकी सुन्दर प्रस्तुति से मन प्रसन्न हो गया है,
अनुपम भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई,
मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभारी हूँ.

 
At 15 February 2012 at 21:20 , Blogger Ruchi Jain said...

bahut achi kavitaa..

 
At 15 February 2012 at 23:33 , Blogger नीरज द्विवेदी said...

बहुत सुन्दर लिखा है आपने ...
Life is Just a Life
My Clicks

 
At 16 February 2012 at 06:08 , Blogger डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-791:चर्चाकार-दिलबाग विर्क>

 
At 18 February 2012 at 03:45 , Blogger Naveen Mani Tripathi said...

BAHUT HI SUNDAR ....|

 
At 20 February 2012 at 05:03 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

क्यों समझते नहीं ता उम्र की ,
प्यार में फायदा कितना है ...

ये प्यार तो अपने आप हो जाता है ... नफे नुक्सान को सोच के किया प्यार क्या प्यार होता है कभी ...

 

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