Saturday, 11 February 2012

ज़िन्दगी जी ले..

सुख को शहद में घोल तू पी ले 
चार दिन ज़िन्दगी ,जी भर के जी ले 
दुःख क्या है  मत सोच
मन में ग़मों को उतार ,
ज़िन्दगी जी ले
प्यार का बना के शरबत तू पी ले
ये उम्र बीती जाए ,जी भर के जी ले
नफरत क्या है मत सोच
मन से रंजो को उतार
ज़िन्दगी जी ले
अपनेपन की चाशनी तू घोले
मिला ले उसमे सुख और प्यार तू पी ले
क्या रह गया मत सोच
जीवन अमृतवर्षा तू जान ,
ज़िन्दगी जी ले..

12 Comments:

At 11 February 2012 at 05:19 , Blogger vidya said...

एकदम नेक सलाह :-) जिंदगी जी ले...

सुन्दर भाव, सुन्दर रचना..

 
At 11 February 2012 at 05:52 , Blogger Kailash Sharma said...

बहुत सार्थक और सकारात्मक सोच...सुंदर प्रस्तुति..

 
At 11 February 2012 at 07:21 , Blogger Nirantar said...

sahee kahaa aapne
take life as it comes

 
At 11 February 2012 at 08:34 , Blogger Maheshwari kaneri said...

सुन्दर रचना..

 
At 11 February 2012 at 10:32 , Blogger Atul Shrivastava said...

जिंदगी चार दिन की..... क्‍या किसी से गिला क्‍या शिकवा।
सलाह सर आंखों पर.....

 
At 12 February 2012 at 08:01 , Blogger डॉ. जेन्नी शबनम said...

jibhar kar ji lo... kya pata kal ho na ho. sandeshprad rachna ke liye badhai....shubhkaamnaayen.

 
At 12 February 2012 at 16:53 , Blogger  डॉ. मोनिका शर्मा said...

सकारात्मक सोच की बानगी है आपकी रचना ....बहुत उम्दा

 
At 12 February 2012 at 17:09 , Blogger Asha Lata Saxena said...

बहुत खूब लिखा है |
आशा

 
At 12 February 2012 at 19:22 , Blogger Anamikaghatak said...

ek ptar se bhara pyari si kavita...badhiya

 
At 12 February 2012 at 23:55 , Blogger Naveen Mani Tripathi said...

SUNDAR PRAVISHTI KE LIYE ......BADHAI

 
At 13 February 2012 at 06:22 , Blogger पुरुषोत्तम पाण्डेय said...

बहुत प्यारी रचना.

 
At 13 February 2012 at 06:26 , Blogger udaya veer singh said...

संवेदनशील मुखर रचना ..... बधाईयाँ जी /

 

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