ज़िन्दगी जी ले..
सुख को शहद में घोल तू पी ले
चार दिन ज़िन्दगी ,जी भर के जी ले
दुःख क्या है मत सोच
मन में ग़मों को उतार ,
ज़िन्दगी जी ले
प्यार का बना के शरबत तू पी ले
ये उम्र बीती जाए ,जी भर के जी ले
नफरत क्या है मत सोच
मन से रंजो को उतार
ज़िन्दगी जी ले
अपनेपन की चाशनी तू घोले
मिला ले उसमे सुख और प्यार तू पी ले
क्या रह गया मत सोच
जीवन अमृतवर्षा तू जान ,
ज़िन्दगी जी ले..
12 Comments:
एकदम नेक सलाह :-) जिंदगी जी ले...
सुन्दर भाव, सुन्दर रचना..
बहुत सार्थक और सकारात्मक सोच...सुंदर प्रस्तुति..
sahee kahaa aapne
take life as it comes
सुन्दर रचना..
जिंदगी चार दिन की..... क्या किसी से गिला क्या शिकवा।
सलाह सर आंखों पर.....
jibhar kar ji lo... kya pata kal ho na ho. sandeshprad rachna ke liye badhai....shubhkaamnaayen.
सकारात्मक सोच की बानगी है आपकी रचना ....बहुत उम्दा
बहुत खूब लिखा है |
आशा
ek ptar se bhara pyari si kavita...badhiya
SUNDAR PRAVISHTI KE LIYE ......BADHAI
बहुत प्यारी रचना.
संवेदनशील मुखर रचना ..... बधाईयाँ जी /
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