सूरज न मुख करियो मेरी ओर बसंती हो जाऊँगी...
सूरज न मुख करियो मेरी ओर
बसंती हो जाऊँगी...
रंग बसंत ,राग बसंत ,रुत बसंत
बसंत ही में ढल जाऊँगी
फिर ओढ़ बसंती चुनरी
मन ही मन इठलाऊँगी
मुख पे बसंती झलक
मन में फूल बसंत खिलाऊँगी
बासंती उपवन से बाँध
गजरा सज जाऊँगी
फिर दूर खड़े तू तकना
मैं पास तेरे न आऊँगी
मैं ठहरी बासंती बसंत बसंती
तेरे संग क्यूँ आऊँगी ?
सूरज न मुख करियो मेरी ओर
बसंती हो जाऊँगी .
बसंती हो जाऊँगी...
रंग बसंत ,राग बसंत ,रुत बसंत
बसंत ही में ढल जाऊँगी
फिर ओढ़ बसंती चुनरी
मन ही मन इठलाऊँगी
मुख पे बसंती झलक
मन में फूल बसंत खिलाऊँगी
बासंती उपवन से बाँध
गजरा सज जाऊँगी
फिर दूर खड़े तू तकना
मैं पास तेरे न आऊँगी
मैं ठहरी बासंती बसंत बसंती
तेरे संग क्यूँ आऊँगी ?
सूरज न मुख करियो मेरी ओर
बसंती हो जाऊँगी .
(तस्वीर गूगल से ली है )
24 Comments:
सूरज न मुख करियो मेरी ओर
बसंती हो जाऊँगी ......bahut hi umda rachna hai Ritu ji....
सूरज न मुख करियो मेरी ओर
बसंती हो जाऊँगी .
वाह ...बहुत खूब ।
sundar rachna,
बहुत सुंदर लाजबाब प्रस्तुती .
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
sundar rachna hae .
रंग बसंत ,राग बसंत ,रुत बसंत
बसंत ही में ढल जाऊँगी
सुन्दर बसंती रचना...
आपके स्नेहिल समर्थन का आभारी हूँ.
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
सुंदर रचना
बेहतरीन प्रस्तुती ...
सुन्दर और मोहक प्रस्तुति ।
ak achhi rachana ke liye abhar Ritu ji.
धन्यवाद अवन्ती जी ..
धन्यवाद sada ..
आभार आपका ..
धन्यवाद sanjay ji
धन्यवाद..आपको शादी की ४० वी वर्षगाँठ की शुभकामनायें ..
धन्यवाद..
धन्यवाद..
धन्यवाद..sandhya ji
धन्यवाद..
धन्यवाद..reena ji
thanks. ..will definitely visit your blog..
धन्यवाद..
धन्यवाद..naveen ji
बहुत सुंदर, वासंतिक भाव लिए रचना
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