गहराई
गहरा समुन्दर है या ,जल में ही थल है
गहरा एक आलिंगन है या मन में ही बल है ..
मन की पुश्पबेल तो लिपटी रहे इस तन से
खोजे अपने पन के एहसासों को बड़े जतन से
आलिंगन सब भुला बस जाता दिल चितवन में
सागर से गहरे भावों को छु देता एक शुभ शगुन से
मन से प्यार भरी आवाज़ ,जो दे तुम बुलाओगे
उन गहरे एहसासों के साथ वाही खड़ा पाओगे
देर न करना ,बस भर देना इस मन को एक आलिंगन से
समां जाएँ जो हम प्रेम प्यार के सुन्दर से मधुबन में
7 Comments:
गहराई मन की ... मन गहरा तो सब समाया
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति, आभार.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen " पर भी पधारने का कष्ट करें.
सुन्दर से मधुबन में कौन समाना नहीं चाहेगा...?
गहरे भाव।
सुंदर रचना।
प्रभावशाली अभिव्यक्ति ....
शुभकामनायें आपको !
मन की पुश्पबेल तो लिपटी रहे इस तन से
खोजे अपने पन के एहसासों को बड़े जतन से
Bahut Sunder....
बेहद ही सुन्दर..भाव पूर्ण श्रेष्ठ रचना...शुभ कामनायें !!!
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