Wednesday, 18 January 2012

गहराई

गहरा समुन्दर है या ,जल में ही थल है 
गहरा एक आलिंगन है या मन में ही बल है ..

मन की पुश्पबेल  तो लिपटी रहे इस तन से 
खोजे अपने पन के एहसासों को बड़े जतन से 
आलिंगन सब  भुला  बस जाता दिल  चितवन में 
सागर से गहरे भावों को छु देता एक शुभ शगुन से 

मन से  प्यार भरी आवाज़ ,जो दे तुम बुलाओगे 
उन गहरे एहसासों के साथ वाही खड़ा  पाओगे 
देर न करना ,बस भर देना इस मन को एक आलिंगन से 
                                         समां जाएँ जो हम प्रेम प्यार  के सुन्दर से मधुबन  में

7 Comments:

At 18 January 2012 at 21:45 , Blogger रश्मि प्रभा... said...

गहराई मन की ... मन गहरा तो सब समाया

 
At 18 January 2012 at 22:09 , Blogger S.N SHUKLA said...

बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति, आभार.

कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen " पर भी पधारने का कष्ट करें.

 
At 18 January 2012 at 23:40 , Blogger Amrita Tanmay said...

सुन्दर से मधुबन में कौन समाना नहीं चाहेगा...?

 
At 19 January 2012 at 10:02 , Blogger Atul Shrivastava said...

गहरे भाव।
सुंदर रचना।

 
At 19 January 2012 at 19:06 , Blogger Satish Saxena said...

प्रभावशाली अभिव्यक्ति ....
शुभकामनायें आपको !

 
At 20 January 2012 at 12:03 , Blogger  डॉ. मोनिका शर्मा said...

मन की पुश्पबेल तो लिपटी रहे इस तन से
खोजे अपने पन के एहसासों को बड़े जतन से

Bahut Sunder....

 
At 20 January 2012 at 18:23 , Blogger संजय भास्‍कर said...

बेहद ही सुन्दर..भाव पूर्ण श्रेष्ठ रचना...शुभ कामनायें !!!

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home