स्मृतियाँ ....
मुझे पता नहीं कब अश्क बहे और कब आँखों से वो सब कुछ धुल गया जो बेरौनक था ,ग़मगीन था ,उदास बैठे ,समझ नहीं आ रहा था की हम गुनेहगार हैं या ज़िन्दगी के विश्लेषण में हमने जो मुकाम चुने उनसे गुज़र कर जा रहे हैं..
थोड़े नमकीन हैं पर बह जाने पर मीठे लगते हैं..मनो एक चम्मच शक्कर घुल गयी हो जिस्म में ..ज़िन्दगी के कौर तोड़ते हुए शाक भाजी की तरह क्यों लिपट जाती है रुसवाईयाँ ..असर तो होता है ..फिर चाहे तिनके की तरह हो या फैली हुई चादर की तरह ..
मन के बोझिल बन ने में बस एक पल लगता है , स्मृतियाँ आ जाती हैं ..,फिर सुन्दर या बदसूरत ,एक बाई स्कोप में मानो तस्वीर घूम रही हो ...आ ही जाते हैं वो क्षण..
ज़रूरी तो नहीं की मन दुःख में ही बोझिल हो ,कभी कभी अतीत के हसीं सुन्दर लम्हे भी आज में खो जाने पर बड़े याद आते हैं ,...मन को बोझिल करते हैं..
चलो अच्छा ही है ..इस बहाने तफरी हो जाती है ...:)
12 Comments:
बहुत सही।
सादर
यादें आने वाली जिंदगी का रास्ता भी बताती हैं और उसे जीने का सलीका भी सिखाती हैं।
ज़िन्दगी यूँ ही कभी जाने कभी अनजाने चलती जाती है
पता नहीं कब अश्क बहे और कब आँखों से वो सब कुछ धुल गया जो बेरौनक था...
---सुन्दर ....इसीलिये बहते हैं आंसू...
बेहतरीन भाव संयोजन
कल 18/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, जिन्दगी की बातें ... !
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर..
जीने के लिए खुबसूरत बहाना होना ही चाहिए..
bahut sundar bhaav chhipe hai ateet ki yaadon ki tarah.
खूबसूरती से मन के भावों को अभिव्यक्त किया ..
खूबसूरत रचना
बहुत सुन्दर...
यादों का आना-जाना-और कभी यूँ ही ठहर जाना...यही तो जिंदगी है...
खुबसूरत भावाभिव्यक्ति जरुरी नहीं की अतीत की यादे रुला ही दे , कुछ अच्छी बाते होती है जो मन को खुश भी करती है
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