Sunday 8 January 2012

जादूगर

 जादू से आँखें आश्चर्यचाकित थी,ये नज़रों का धोखा था या हाथ की सफाई,पल पल में रूप रंग स्वतः ही बदल जाता था ,या आसमानी ताकत आ कर मदद कर रही थी ..कुछ ऐसे ही विचार मन में थे
 ..ये मेरा नजरिया था..
वहीँ दूसरी और कई बच्चे अपनी मासूम संवेदनाओं को समेटे  मूंह  को खोले आँखों में आश्चर्य व अस्मिता का भाव लिए टकटकी लगाये देख रहे थे उस जादूगर को ..वो प्रयास कर रहे थे पहचानने का..जानने का..की इस सब के पीछे क्या है..उन्हें डर भी था..उस जादूगर से..पर आनंद भी था ..कभी भाव विभोर हो पुलकित मन से ज़ोरदार तालियाँ बजाते..कभी सहम कर माता पिता की गोदी में सिमट जाते..ऐसे ही कब द्रश्य बदल जाता पता ही न चलता .बच्चों के मन के पावन पटल पर उस जादूगर ने तो राज़ कर लिया था 
कुछ इसी तरह से हम है उस 'जादूगर' के सामने एक नन्हे बच्चे की तरह.हैं .जो समझ नहीं पाता की वो 'उस' की हाथ की सफाई थी ,या 'बल प्रदर्शन'..वो हमें सबकुछ स्तब्ध करने के लिए कर रहा है या आनंद देने के लिए..वो हमारे सामने आता है ,पर पोशाक बदल बदल के..
पर आज एक 'बड़े' के रूप में हमने वो जज़्बात और आनंद विभोर होने के भाव खो दिए हैं..हम भूल गए है की 'उस' जादूगर के सामने इंसान चाहे कितनी भी उम्र का क्यों न हो ..बच्चा है..उसके 'जादू'को समझ पाने का सामर्थ्य हम में नहीं..एक-दो खेल वो हमें सिखला देता है ,खेल खेल में ..पर 'बड़े जादुओं' का राज़ वो अपने तक ही रखता है..समझना हो जानना हो तो खोजो जवाब..अपनेआप..

15 Comments:

At 8 January 2012 at 05:29 , Blogger Sunil Kumar said...

आपकी यह रचना सच्चाई से रुबुरु करवाती हैं ........

 
At 8 January 2012 at 09:53 , Blogger Rakesh Kumar said...

आपकी प्रस्तुति में राज की बाते हैं,RITU जी.

मेरे ब्लॉग पर आपके आने का बहुत बहुत आभार.

 
At 8 January 2012 at 21:50 , Blogger Atul Shrivastava said...

जिंदगी की हकीकत से रूबरू कराती पोस्‍ट।
बधाई हो......

 
At 9 January 2012 at 01:10 , Blogger चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर

 
At 9 January 2012 at 02:05 , Blogger सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

 
At 9 January 2012 at 03:27 , Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सटीक लिखा है आपने!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

 
At 9 January 2012 at 08:23 , Blogger केवल राम said...

गहरे अर्थ है आपकी इस पोस्ट के ....सच में जादूगर हमें एक दो खेल ही सिखाता है ...लेकिन दिखाता सब कुछ है ....और हमें बेबस होकर सब देखना पड़ता है ......और सच्चाई यही है ...!

 
At 9 January 2012 at 19:03 , Blogger S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सुन्दर लेखन...

 
At 9 January 2012 at 20:40 , Blogger रश्मि प्रभा... said...

कुछ ख़ास ... कुछ अपने

 
At 9 January 2012 at 20:59 , Blogger संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सार्थक विचार ..

 
At 9 January 2012 at 22:34 , Blogger Unknown said...

सच्चाई से रुबुरु करवाती रचना

 
At 9 January 2012 at 23:50 , Blogger RITU BANSAL said...

आप सभी का ह्रदय से आभार ...!

 
At 10 January 2012 at 04:56 , Blogger रेखा said...

सार्थक और यथार्थ ..

 
At 19 October 2013 at 23:42 , Blogger madan bharti delhi said...

अति सुन्‍दर

 
At 19 October 2013 at 23:45 , Blogger madan bharti delhi said...

अति सुन्‍दर

 

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