यादें
कुछ बाँधी पुड़ियों में हैं ,कुछ जेबों में भर ली हैं ,
कुछ पन्नों में रख ली हैं ,कुछ जज़बातों में भर ली हैं
कुछ में शक्कर सी घुली है , कुछ आटे सी गुंध रही हैं ,
कुछ माचिस सी जलीं हैं ,कुछ कपूर सी सुगंध रहीं हैं
कुछ तकिये सी कोमल हैं कुछ लिहाफ़ सी ओढ़ रखी हैं
कुछ बिस्तरबंद संग बंधी हैं ,कुछ अभी भी वहीँ पड़ी हैं
ये यादें हैं अनजानी सी ,पर जानी कुछ पहचानी सी ,
कुछ बेबस ग़मों में लिपटी ,कुछ रंगों की मनमानी सी
ये कल से कल की मुलाकातें हैं ,कुछ मेरी कुछ तेरी सी
कुछ सुलझे अनसुलझे प्रश्न ,कुछ रैन सवेरे सी..
कुछ पन्नों में रख ली हैं ,कुछ जज़बातों में भर ली हैं
कुछ में शक्कर सी घुली है , कुछ आटे सी गुंध रही हैं ,
कुछ माचिस सी जलीं हैं ,कुछ कपूर सी सुगंध रहीं हैं
कुछ तकिये सी कोमल हैं कुछ लिहाफ़ सी ओढ़ रखी हैं
कुछ बिस्तरबंद संग बंधी हैं ,कुछ अभी भी वहीँ पड़ी हैं
ये यादें हैं अनजानी सी ,पर जानी कुछ पहचानी सी ,
कुछ बेबस ग़मों में लिपटी ,कुछ रंगों की मनमानी सी
ये कल से कल की मुलाकातें हैं ,कुछ मेरी कुछ तेरी सी
कुछ सुलझे अनसुलझे प्रश्न ,कुछ रैन सवेरे सी..
6 Comments:
कुछ तकिये सी कोमल हैं कुछ लिहाफ़ सी ओढ़ रखी हैं
कुछ बिस्तरबंद संग बंधी हैं ,कुछ अभी भी वहीँ पड़ी हैं
हर पंक्ति अपने आप में बेमिसाल है ...
यह पंक्तियां बहुत ही अच्छी लगी ...आभार ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ..
यादों के सहारे जीवन का कठिन से कठिन सफर भी आसानी से काटा जा सकता है...
बेहतरीन रचना।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...वाह!
sundar yaadon ki rachna.
बहुत बढ़िया,
छू गयी आपकी बिखरी यादें...
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