Friday, 6 January 2012

चांदनी का गीत

कहें लिखे क्या ..
आज कलम बेजुबान है और कागज़ सो रहा है..
शायद कोहरे में ढून्ढ रहे हैं एक दूसरे को ..
दिल की चांदनी में आज अक्स दिखाई नहीं देते ..रात का अँधेरा उन्हें दिल में उतरने नहीं देता ..
और हम चोरों की तरह ढून्ढ रहे है  वो रोशनी जो चांदनी पे लिख दे ..कोहरे की दास्ताँ ..
सोये हुए कागज़ के सपनो का किस्सा ..
आज ओस पड़ी है ..हवाएं भी मनो रात की रानी की खुशबु को ओढ़े बह रही हैं ..
आज चांदनी बेरौनक नहीं ..कटोरी भर के चाँद  आया है ..देखने अपने अक्स को उन ओस की बूंदों में..
चलो कागज़ को जगाएं ..
कलम उत्सुक है महकती हवाओं पर चांदनी का गीत लिखने को ..छोड़ आयें चलो उसको कागज़ के पास ..
शायद आज का गीत ..संगीत हो .
.

10 Comments:

At 6 January 2012 at 22:51 , Blogger रश्मि प्रभा... said...

bahut hi badhiyaa...

 
At 7 January 2012 at 04:02 , Blogger नीरज गोस्वामी said...

आप की रचना भावुक कर गयी...बेजोड़ ...


नीरज

 
At 7 January 2012 at 04:11 , Blogger कविता रावत said...

और हम चोरों की तरह ढून्ढ रहे है वो रोशनी जो चांदनी पे लिख दे ..कोहरे की दास्ताँ ..
सोये हुए कागज़ के सपनो का किस्सा ..
...bahut khoobsurat khayalaat..
bahut sundar rachna..
navvarsh ke mangal kamamnayen!

 
At 7 January 2012 at 06:20 , Blogger Dr.NISHA MAHARANA said...

कलम उत्सुक है महकती हवाओं पर चांदनी का गीत लिखने को ..छोड़ आयें चलो उसको कागज़ के पास ..
शायद आज का गीत ..संगीत हो.waah.

 
At 7 January 2012 at 11:11 , Blogger Atul Shrivastava said...

सुंदर रचना।
गहरी भावाभिव्‍यक्ति।

 
At 7 January 2012 at 18:09 , Blogger संजय भास्‍कर said...

Khoobsurat andaaz, behtareen khayal....

 
At 7 January 2012 at 21:08 , Blogger RITU BANSAL said...

यु ही बैठी थी तो लिख दिया जो जज़्बात बने..आप सभी ने पसंद किया ..मै ह्रदय से आभारी हूँ..

 
At 7 January 2012 at 23:58 , Blogger Naveen Mani Tripathi said...

prabhaavshali abhivyakti hai badhai

 
At 29 September 2012 at 13:57 , Blogger Savita Tyagi said...

कलम उत्सुक है महकती हवाओं पर चांदनी का गीत लिखने को ..छोड़ आयें चलो उसको कागज़ के पास ..
शायद आज का गीत ..संगीत हो Love the lines.
Savita

 
At 29 September 2012 at 13:59 , Blogger Savita Tyagi said...

कलम उत्सुक है महकती हवाओं पर चांदनी का गीत लिखने को ..छोड़ आयें चलो उसको कागज़ के पास ..
शायद आज का गीत ..संगीत हो .. Love the lines.
Savita Tyagi

 

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