अखबार
ज़िन्दगी में बीते हुए कल के दिन का महत्व उस अखबार की तरह है जिसे हम आज पढ़ कर रद्दी में फेंक देते हैं..
होना भी चाहिए ,अखबार के पन्ने ,दिन में बिताए हुए घंटों की तरह होते हैं,हर घंटे का एक शीर्षक होता है..जिस से हम उस समय में बिताए हुए दिन का विश्लेषण करते हैं..बस उतनी ही सामग्री अखबार में से दिमाग में जगह बनाती है जितनी हम याद रखना चाहते हैं..ठीक उसी प्रकार पूरे दिन में से भी बस उन्ही पलों को याद रखो जिन्हें कभी काम में लाना है..बाकी सब रद्दी के हवाले कर दो..
जो चंद पलों में कभी आवश्यकता पड़े तो ज़िन्दगी के अखबार के पन्नो को वापस पलट कर याद कर लेना वो पलछिन..खूब रश्क में बिताए हुए समय के प्रभाव से आने वाले कल के दीदार के लिए अपने आप को संभाले रखना..वही वो अखबार है जिसका पूरा सम्पादकीय उसने लिखा है जिसे तुम जानते भी नहीं..
19 Comments:
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
बहुत सुंदर ||
बहुत सुंदर ||
सुन्दर आलेख. अल्ज्हमेर से पीड़ित लोगों की दशा की कल्पना कर रहा हूँ.
पधारने के लिए धन्यवाद ..आपका ब्लॉग 'मल्हार' अच्छा लगा .. follow कर रही हूँ..
beautiful expression!
सही कहा।
अच्छा दर्शन है आपका।
मैं पहली बार यहां आया हूं, सच में अच्छा लगा।
बहुत बढिया ।
ज़िन्दगी में बीते हुए कल के दिन का महत्व उस अखबार की तरह है जिसे हम आज पढ़ कर रद्दी में फेंक देते हैं.. पर वे लहरों की तरह मुड़ मुड़कर आते हैं
आपका बहुत बहुत धन्यवाद व आभार..
आशा करती हूँ आप का मार्गदर्शन मिलता रहेगा..
बहुत सुन्दर ...प्रेरणादायक आलेख !
सही कहा आपने रश्मि जी..
बहुत ही बढ़िया।
सादर
बहुत सुन्दर!
लोहड़ी पर्व की बधाई और शुभकामनाएँ!
ज़िन्दगी के अखबार के पन्नो को वापस पलट कर याद कर लेना वो पलछिन..bahut badhiyaa.
सचमुच ..आप सब की प्रतिक्रियाएं पढ़ कर प्रोत्साहन मिलता है ..
तहे दिल से आभार ..
आपके सुझावों का मै आदर करुँगी
मकर संक्रांति व लोहरी की बधाई के साथ ,
हमेशा आपके स्वागत को तत्पर ..
फिर आइयेगा ..
लोहडी और मकर संक्रांति की शुभकामनाएं.....
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
sundar vichar
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