रास
सुन्दर नयन पलकें घनी कारी कारी
नाज़ुक बेल सी लिपटी मेरे ह्रदय की डारी
नर्म चांदनी संग रात चांदी सी चमके
आज करेंगे रास गोपीन संग ,कान्हा जी जमके
सुमधुर लय में डोल उठेंगे ,किंकिन ,पायल, सारी
हर गोपी इतराए ,इठलाये ,जब आवे उसकी बारी
लगा के लाली ,कानो में बाली ,नाचें वो बन बन के
तुम भी बने सहस्र ,किसना सबके संग जा धमके
इतनी शीतल इतनी सुन्दर ,मधुर रात वो कारी
कितने पग हैं ,कितने नख हैं ,तुम विचित्र बनवारी
मैं भी नाचूं ,धिन ता ता ,धिन ता ता तारी
अगर स्वप्ना भी है तो, बीत जाए उम्र यूही सारी
17 Comments:
सुन्दर नयन पलकें घनी कारी कारी
नाज़ुक बेल सी लिपटी मेरे ह्रदय की डारी
....बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
Ritu ji adbhut bhav ...........bahut sunder
बहुत बढ़िया...
बढ़िया प्रस्तुति...
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 23-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
ख़ूबसूरत प्रस्तुति, आभार.
please visit my blog.
manohari manbhavan kavya hae .mere blog men aapka svagat hae .
bhawon kee gagri ...
Vah...... bahut sundar rachana badhai ke sath hi abhar.
सुमधुर लय में डोल उठेंगे ,किंकिन ,पायल, सारी
हर गोपी इतराए ,इठलाये ,जब आवे उसकी बारी ...
वाह कृष्ण के मोह में डूबी गोपियाँ ... कितना भाव संजोया है ... लाजवाब...
इतनी शीतल इतनी सुन्दर ,मधुर रात वो कारी
कितने पग हैं ,कितने नख हैं ,तुम विचित्र बनवारी
मैं भी नाचूं ,धिन ता ता ,धिन ता ता तारी
अगर स्वप्ना भी है तो, बीत जाए उम्र यूही सारी
बहुत सुंदर पंक्तियाँ अच्छी रचना ,......
welcome to my new post...kaavyaanjli
kavitaa bhee sundar sheetal....
प्रेम में डूबी सुंदर रचना।
बहुत उम्दा।
इतनी शीतल इतनी सुन्दर ,मधुर रात वो कारी
कितने पग हैं ,कितने नख हैं ,तुम विचित्र बनवारी
मैं भी नाचूं ,धिन ता ता ,धिन ता ता तारी
अगर स्वप्ना भी है तो, बीत जाए उम्र यूही सारी
काव्यात्मक सौन्दर्य और नाद से भर पूर रचना .
आह ! यही तो चाहत है…………बहुत मनोहारी चित्रण्।
सुन्दर...
भावमय प्रस्तुति...
बहूत सुंदर लिखा है चित्र भी बहूत मनभावन है ..
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