कहाँ से लाऊँ ..
रस छंद माधुरी कहाँ से लाऊँ ,
वो मृदु बांसुरी कहाँ से लाऊँ ,
ऐसा सागर जिसमे में समां जाऊं ,
वो कृपू अंजुरी कहाँ से लाऊँ ..
रूप वरण गागरी कहाँ से लाऊँ
तारण तरण भागरी कहाँ से लाऊँ
तन कंचन मन चन्दन कर आऊं
वो रिपु तारिणी कहाँ से लाऊँ
वो प्रेम पादुरी कहाँ से लाऊँ
घनघोर बादुरी कहाँ से लाऊँ
बरसे तो आनंदित हो जाऊं
वो प्रकीर्ण रागेनी कहाँ से लाऊँ
{भागरी -भाग्य ; तारिणी -सरोवर(यहाँ पे ) ;पादुरी -पादुका ; प्रकीर्ण -भिन्न }
21 Comments:
बहुत सुन्दर रचना !
WAAH ...
बेह्द खूबसूरत दिल मे उतर जाने वाली रचना
बहुत सुन्दर लिखा है आपने
waah,shandar moko khan khoje re bande maen to tere sath re....
बहुत उम्दा
खूबसूरत रचना।
umdaa......
बहुत सुन्दर, कई दिन बाद गाने को मिला है ऐसा....आभार!!
सुंदर ...मन के पावन भाव...
bahut achchha laga padhkar.....abhar
बहुत सुन्दर भाव समर्पण्।
वाह!!!
देगा वही.जिसने लालसा जगाई है...
बहुत सुन्दर.
वो प्रेम पादुरी कहाँ से लाऊँ
घनघोर बादुरी कहाँ से लाऊँ
बरसे तो आनंदित हो जाऊं
वो प्रकीर्ण रागेनी कहाँ से लाऊँ ...
जब कृष्ण को पा लिया तो ये सब तो ओने आप ही आ जायगा ...
सुन्दर रचना है ...
वाह ...बहुत ही बढि़या।
रूप वरण गागरी कहाँ से लाऊँ
तारण तरण भागरी कहाँ से लाऊँ
तन कंचन मन चन्दन कर आऊं
वो रिपु तारिणी कहाँ से लाऊँ
वाह...क्या खूबसूरत भाव इन लाजवाब शब्दों के माध्यम से पिरोये हैं आपने इस रचना में...बधाई
नीरज
शानदार |
वाह बहुत सुन्दर भाव... सुन्दर शब्द संयोजन...
आप का मेरे ब्लॉग पर आगमन अच्छा लगा,शुक्रिया.....
आप की ये रचना बहुत ही प्यारी है,आप ने जिन शब्दों का इस्तेमान किया वोबहुत ही पसंद आये
कुछ नए शब्द पढने को मिले ,ऐसे ही लिखती रहें...शुभकामनाये...
गौ माता के लिए कुछ करने की मंशा से एक ब्लॉग का निर्माण हुआ है
आप भी सादर आमंत्रित है .....पधारियेगा......
गौ वंश रक्षा मंच
gauvanshrakshamanch.blogspot.com
bahut sundar...
बढिया शब्द संयोजन
उत्तम भाव युक्त रचना
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