Tuesday, 31 January 2012

कहाँ से लाऊँ ..

रस छंद माधुरी कहाँ से लाऊँ ,
वो मृदु बांसुरी कहाँ से लाऊँ ,
ऐसा सागर जिसमे में समां जाऊं ,
वो कृपू अंजुरी कहाँ से लाऊँ ..

रूप वरण गागरी कहाँ से लाऊँ 
तारण तरण भागरी कहाँ से लाऊँ
तन कंचन मन चन्दन कर आऊं 
वो रिपु तारिणी कहाँ से लाऊँ 

वो प्रेम पादुरी कहाँ से लाऊँ 
घनघोर बादुरी कहाँ से लाऊँ 
बरसे तो आनंदित हो जाऊं 
वो प्रकीर्ण रागेनी कहाँ से लाऊँ 

{भागरी -भाग्य ; तारिणी -सरोवर(यहाँ पे ) ;पादुरी -पादुका ; प्रकीर्ण -भिन्न }

21 Comments:

At 31 January 2012 at 05:17 , Blogger पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत सुन्दर रचना !

 
At 31 January 2012 at 05:19 , Blogger रश्मि प्रभा... said...

WAAH ...

 
At 31 January 2012 at 05:22 , Blogger संजय भास्‍कर said...

बेह्द खूबसूरत दिल मे उतर जाने वाली रचना

 
At 31 January 2012 at 07:37 , Blogger चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर लिखा है आपने

 
At 31 January 2012 at 09:12 , Blogger sangita said...

waah,shandar moko khan khoje re bande maen to tere sath re....

 
At 31 January 2012 at 09:55 , Blogger चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत उम्दा

 
At 31 January 2012 at 10:02 , Blogger Atul Shrivastava said...

खूबसूरत रचना।

 
At 31 January 2012 at 10:32 , Blogger Nirantar said...

umdaa......

 
At 31 January 2012 at 17:46 , Blogger Archana Chaoji said...

बहुत सुन्दर, कई दिन बाद गाने को मिला है ऐसा....आभार!!

 
At 31 January 2012 at 19:21 , Blogger  डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुंदर ...मन के पावन भाव...

 
At 31 January 2012 at 19:56 , Blogger Anamikaghatak said...

bahut achchha laga padhkar.....abhar

 
At 31 January 2012 at 21:37 , Blogger vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भाव समर्पण्।

 
At 31 January 2012 at 23:10 , Blogger vidya said...

वाह!!!

देगा वही.जिसने लालसा जगाई है...
बहुत सुन्दर.

 
At 31 January 2012 at 23:33 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

वो प्रेम पादुरी कहाँ से लाऊँ
घनघोर बादुरी कहाँ से लाऊँ
बरसे तो आनंदित हो जाऊं
वो प्रकीर्ण रागेनी कहाँ से लाऊँ ...

जब कृष्ण को पा लिया तो ये सब तो ओने आप ही आ जायगा ...
सुन्दर रचना है ...

 
At 1 February 2012 at 03:47 , Blogger सदा said...

वाह ...बहुत ही बढि़या।

 
At 1 February 2012 at 05:35 , Blogger नीरज गोस्वामी said...

रूप वरण गागरी कहाँ से लाऊँ
तारण तरण भागरी कहाँ से लाऊँ
तन कंचन मन चन्दन कर आऊं
वो रिपु तारिणी कहाँ से लाऊँ
वाह...क्या खूबसूरत भाव इन लाजवाब शब्दों के माध्यम से पिरोये हैं आपने इस रचना में...बधाई

नीरज

 
At 1 February 2012 at 07:25 , Blogger amit kumar srivastava said...

शानदार |

 
At 1 February 2012 at 20:44 , Blogger संध्या शर्मा said...

वाह बहुत सुन्दर भाव... सुन्दर शब्द संयोजन...

 
At 1 February 2012 at 21:08 , Blogger avanti singh said...

आप का मेरे ब्लॉग पर आगमन अच्छा लगा,शुक्रिया.....

आप की ये रचना बहुत ही प्यारी है,आप ने जिन शब्दों का इस्तेमान किया वोबहुत ही पसंद आये

कुछ नए शब्द पढने को मिले ,ऐसे ही लिखती रहें...शुभकामनाये...

गौ माता के लिए कुछ करने की मंशा से एक ब्लॉग का निर्माण हुआ है

आप भी सादर आमंत्रित है .....पधारियेगा......

गौ वंश रक्षा मंच



gauvanshrakshamanch.blogspot.com

 
At 2 February 2012 at 04:22 , Blogger डॉ. जेन्नी शबनम said...

bahut sundar...

 
At 2 February 2012 at 05:05 , Blogger ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बढिया शब्द संयोजन
उत्तम भाव युक्त रचना

 

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