मिला कदम आ बढ़ चलें ..
राष्ट्र को 'गणतंत्र दिवस' पर समर्पित
मिला कदम आ बढ़ चलें
फासलों को हौसलों से जीत लें
मिला कदम आ बढ़ चलें ...
मुट्ठियों को बाँध लें
आ आज ये ठान लें
धरा या गगन बनें
मिला कदम आ बढ़ चलें ..
दिए जलायें रौशनी करें
गलत जहां सही करें
क्या हो रहा ये जान लें
मिला कदम आ बढ़ चलें ..
प्यार से ही जीत लें
किसी से भी सीख लें
पत्थर मील के बनें
मिला कदम आ बढ़ चलें ..
न चुप रहे ,न मौन धरें
बोलों में बल भरें
राग की रागिनी बनें
मिला कदम आ बढ़ चलें ...
13 Comments:
achhe geet likhte chalein
mil kar gaatein chalein
nice
गणतन्त्र दिवस की अग्रिम बधाई।
बहुत ही उत्साहवर्धक कविता।
सादर
सुन्दर रचना एक नए रूप में!
kya bat hae aapko bhi gantantra ki shubhkamnayen
न चुप रहे ,न मौन धरें
बोलों में बल भरें
राग की रागिनी बनें
मिला कदम आ बढ़ चलें ..... सुन्दर आह्वान
nice poem
दिए जलायें रौशनी करें
गलत जहां सही करें
क्या हो रहा ये जान लें
मिला कदम आ बढ़ चलें
check my blog
प्यार से ही जीत लें
किसी से भी सीख लें.VERY NICE.
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
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कल 26/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
उम्मीदों भरी सुंदर रचना।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
जय हिंद...वंदे मातरम्।
प्यार से ही जीत लें
किसी से भी सीख लें
पत्थर मील के बनें
मिला कदम आ बढ़ चलें ..
बहुत सुन्दर एवं प्रेरणादायी
प्यार से ही जीत लें
किसी से भी सीख लें
पत्थर मील के बनें
मिला कदम आ बढ़ चलें ..
बहूत अच्छी रचना है
Wow.. very nice
Wow.. good creation
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