कुछ और है .
उड़ते परिंदों का जहां कहीं और है
उनकी ज़मीं आसमां कहीं और है
महलों दुमहलों की उनको ज़रुरत नहीं
उनका आशियाना कहीं और है
उनकी ज़मीं आसमां कहीं और है
महलों दुमहलों की उनको ज़रुरत नहीं
उनका आशियाना कहीं और है
झुकते बादलों का ठिकाना कहीं और है उनका किस्सा फ़साना कहीं और
ऊँचे पर्वतों की उन्हें ज़रुरत नहीं
उनका हवाओं से याराना कुछ और है
उनका हवाओं से याराना कुछ और है
बहते झरनों का तराना कुछ और है
उनकी रागिनी, गाना कुछ और है
राहे पत्थरों की उनको परवाह नहीं
मंजिल ऐ मुकां, का बहाना कुछ और है .
उनकी रागिनी, गाना कुछ और है
राहे पत्थरों की उनको परवाह नहीं
मंजिल ऐ मुकां, का बहाना कुछ और है .
22 Comments:
राह के इस पथिक का दीवाना कहीं और है
उसकी हस्ती उसका ज़माना कहीं और है
इस दीवानगी में दवा की ज़रुरत नहीं
खोया शब्दों में ,पर उसको जाना कहीं और है... waah
Bahut sunder. Aapki rachna bhi Kuch aur hi hai.
jisko chaahtaa hai dil
miltaa kahaan?
wo rahtaa hai kahin aur
bahut ++++++
राह के इस पथिक का दीवाना कहीं और है
उसकी हस्ती उसका ज़माना कहीं और है
इस दीवानगी में दवा की ज़रुरत नहीं
खोया शब्दों में ,पर उसको जाना कहीं और है
बेहतरीन पंक्तियाँ।
सादर
वाह,,
सुन्दर प्रस्तुति
बेहतरीन रचना
उड़ते परिंदों का जहां कहीं और है
उनकी ज़मीं आसमां कहीं और है
महलों दुमहलों की उनको ज़रुरत नहीं
उनका आशियाना कहीं और है
बेहतरीन पंक्तियाँ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 06-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
बेहतरीन....
बहुत हि सुन्दर शब्द संचयन...
खोया शब्दों में ,पर उसको जाना कहीं और है.....
Behtreen...
बहुत गहरा सोच है |अच्छी रचना |बहुत बहुत बधाई |
आशा
झुकते बादलों का ठिकाना कहीं और है
उनका किस्सा फ़साना कहीं और
ऊँचे पर्वतों की उन्हें ज़रुरत नहीं
उनका हवाओं से याराना कुछ और है
बहुत बढ़िया रचना...
बधाई.
राह के इस पथिक का दीवाना कहीं और है
उसकी हस्ती उसका ज़माना कहीं और है
साधु-साधु
साधु-साधु
राह के इस पथिक का दीवाना कहीं और है
उसकी हस्ती उसका ज़माना कहीं और है
इस दीवानगी में दवा की ज़रुरत नहीं
खोया शब्दों में ,पर उसको जाना कहीं और है
badhiya rachna sundar lagi ....
राह के इस पथिक का दीवाना कहीं और है
उसकी हस्ती उसका ज़माना कहीं और है
इस दीवानगी में दवा की ज़रुरत नहीं
खोया शब्दों में ,पर उसको जाना कहीं और है
badhiya rachna sundar lagi ....
waah..prakarti ki sundarta ko khoobsurat shabdon men sajaya hai aapne...
बहुत सुंदर भाव और शब्द !
बहुत सुंदर भाव संजोये है और उनकी अभिव्यक्ति भी बहुत सुंदर क्या बात है .....
इस दीवानगी में दवा की ज़रुरत नहीं
खोया शब्दों में ,पर उसको जाना कहीं और है
bahut hi sundar ritu ji ...badhai.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
उड़ते परिंदों का जहां कहीं और है
उनकी ज़मीं आसमां कहीं और है
महलों दुमहलों की उनको ज़रुरत नहीं
उनका आशियाना कहीं और है
Bahut khoob
बिलकुल सही चित्रण ! काश हम सभी इसी खयालो के होते तो यह मारा-मारी नहीं होती !बधाई
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