खुशनसीब ..
बैठती नहीं हर डालपर बुलबुल
हर वृक्ष खुशनसीब नहीं होता
करती नहीं कोलाहल हर बगीचे में बुलबुल
हर बाग़ खुशनसीब नहीं होता
खिलते नहीं हर गुंचे में गुल
हर हार खुशनसीब नहीं होता
मिलते नहीं नदिया के दो पुल
हर किनारा खुशनसीब नहीं होता
मिलती नहीं हर शब्द को धुन
हर राग खुशनसीब नहीं होता
नहीं लेता पपीहे को हर कोई सुन
हर चाँद खुशनसीब नहीं होता
नहीं जाते हर मन में रंग घुल
हर दिल खुशनसीब नहीं होता
नहीं जाते हर बार प्यार के दर खुल
हर घर खुशनसीब नहीं होता
हर वृक्ष खुशनसीब नहीं होता
करती नहीं कोलाहल हर बगीचे में बुलबुल
हर बाग़ खुशनसीब नहीं होता
खिलते नहीं हर गुंचे में गुल
हर हार खुशनसीब नहीं होता
मिलते नहीं नदिया के दो पुल
हर किनारा खुशनसीब नहीं होता
मिलती नहीं हर शब्द को धुन
हर राग खुशनसीब नहीं होता
नहीं लेता पपीहे को हर कोई सुन
हर चाँद खुशनसीब नहीं होता
नहीं जाते हर मन में रंग घुल
हर दिल खुशनसीब नहीं होता
नहीं जाते हर बार प्यार के दर खुल
हर घर खुशनसीब नहीं होता
(चित्र गूगल से )
15 Comments:
सुंदर भावनाओं की अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति...
सच, ख़ुशनसीबी दुर्लभ शय है...!
वास्तव में हर घर खुशनसीब नही होता,..
बहुत बढ़िया,बेहतरीन मनोहारी अनुपम प्रस्तुति,.....
MY NEW POST...काव्यान्जलि...आज के नेता...
नहीं जाते हर मन में रंग घुल
हर दिल खुशनसीब नहीं होता
vaah bahut sundar panktiyan.
आभार आपका..
आप सभी को तहे दिल से धन्यवाद मुझे प्रोत्साहन देने के लिए व मेरे ब्लॉग को आपने विचारों से आकर्षण प्रदान करने के लिए..
पधारते रहिएगा..
बैठती नहीं हर डालपर बुलबुल
हर वृक्ष खुशनसीब नहीं होता waah........
नहीं लेता पपीहे को हर कोई सुन
हर चाँद खुशनसीब नहीं होता waah! behad umda
गहरे भाव लिए सुंदर रचना।
वाह!
जीवन में कुछ भी एक सा नहीं होता
सुंदर प्रस्तुति
बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
bhavpurn prastuti
bahut sundar
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