चंदन की चांदनी ...
चंदन की चांदनी चंचल चंचल चमकीली
चाहूँ तो भी न आये चैना,चहूँ दिशायें नखरीली
चौकाएं चरू लताएं चाहें चन्दन संग चिन्मय हो जाएँ
चेह्चहाएं चुनिंदा चातक जब चकोर संग मिल जाएँ
चुस्की लेती रात चाँद चाशनी उसकी
लगे चुरा लूं एक बात बनके चोरनी उसकी
चुन चुन के लाऊँ चाहत के पल क्यों न चेतना में बस जाऊं
आज चांदी सी चांदनी चितवन ,चलो चाँद चादर में ले आऊं
चुप -चुप चालाकी से जब छुप जाता चंदन चंदेला
मन चेतक बन चिंतन में रहता ,फिर जाने कब आएगा ,अलबेला
चंपा चमेली सी कब महकेगी रात ,कब चौखट पर चाँद करेगा फेरे
कब चुनरी होगी चांदनी ,कब फिर चित्त पर डालेगा डेरे
आज चौगुना चाँद ,देखो कैसे चकित कर जाए
कैसे चख कर देखूं मैं ,चौतरफा चांदनी उलझाए
चैना खोकर अब चाहूँ .चाँद चिरंजीवी हो जाए
चंद्राकार मेरे नयनों को हर पल यूं ही भरमाये
चाहूँ तो भी न आये चैना,चहूँ दिशायें नखरीली
चौकाएं चरू लताएं चाहें चन्दन संग चिन्मय हो जाएँ
चेह्चहाएं चुनिंदा चातक जब चकोर संग मिल जाएँ
चुस्की लेती रात चाँद चाशनी उसकी
लगे चुरा लूं एक बात बनके चोरनी उसकी
चुन चुन के लाऊँ चाहत के पल क्यों न चेतना में बस जाऊं
आज चांदी सी चांदनी चितवन ,चलो चाँद चादर में ले आऊं
चुप -चुप चालाकी से जब छुप जाता चंदन चंदेला
मन चेतक बन चिंतन में रहता ,फिर जाने कब आएगा ,अलबेला
चंपा चमेली सी कब महकेगी रात ,कब चौखट पर चाँद करेगा फेरे
कब चुनरी होगी चांदनी ,कब फिर चित्त पर डालेगा डेरे
आज चौगुना चाँद ,देखो कैसे चकित कर जाए
कैसे चख कर देखूं मैं ,चौतरफा चांदनी उलझाए
चैना खोकर अब चाहूँ .चाँद चिरंजीवी हो जाए
चंद्राकार मेरे नयनों को हर पल यूं ही भरमाये
(कविता 'अनुप्रास अलंकार ' में लिखी गयी है .. )
(चित्र गूगल की देन)
20 Comments:
सुन्दर सृजन, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
अनुप्रास अलंकार का बेहद खूबसूरती से रचना मे प्रयोग किया है …………शानदार्।
बहुत सुन्दर अनुपम रचना... अनुप्रास अलंकार का बहुत सुन्दर प्रयोग....
बेहतरीन रचना...
ये कविता मेरे मन को बहुत भाई ..शायद मेरे संकलन की एक अनुपम प्रस्तुति है यह ...
आप सभी ने पसंद कर के ,चार चाँद लगा दिए हैं..
सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
सुन्दर शब्द संसार रोचक, अनुपम भाव प्रभावशाली बधाईयाँ जी
प्रस्तुति अच्छा लगी । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपकी उपस्थिति पार्थनीय है । धन्यवाद ।
सुंदर रचना।
गहरे भाव।
अति उत्तम,सराहनीय प्रभावशाली प्रस्तुति,सुंदर रचना....के लिए बधाई
NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...
चैना खोकर अब चाहूँ .चाँद चिरंजीवी हो जाए
चंद्राकार मेरे नयनों को हर पल यूं ही भरमाये
mujhe ye pankti bahut hi pasand hai-----bahut sundar rachna hai
बहुत बहुत आभार ..आप सब पधारे..
आपका ब्लॉग फोल्लो कर रही हूँ ..धन्यवाद..
वह .. अनुप्रास अलंकार का आभास ... मज़ा आ गया पड़ते हुवे ये रचना ...
सुन्दर भावों से सजी रचना |बधाई |
आशा
waah..............shaandaar shilp..umda rachna !
bahut hi sundar,behtarin rachana:-)
कविता के अनुप्रास की छटा देखते बनती हैं।
anupras ka sunder prayog.
sundar pryog ....
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