तुम वो नहीं
तुम वो नहीं जो तुम हो ,
तुम वो हो जो दिख रहे हो
तुम खुद भी न समझ पाओगे क्या हो
न समझा पाओगे की क्या हो ,
पर बन जाओगे वो जो दिख रहे हो तुम ..
तुम्हारी रहमत हो या खुदगर्ज़ी
तुम्हारे अंदाज़े हो या तुम्हारी मर्ज़ी ,
खुद को फिक्रज़दा ही पाओगे
क्यूंकि ,जो तुम हो वो न दिख पाओगे
करते रहो चाहे प्यार ,या करते रहो इंतज़ार
तुम से मिलेंगे वही लोग बार बार ,
जिनसे तुम खुल न पाओगे
तुम नहीं दिख सकोगे वो
जो तुम दिखना चाहोगे
लाख करो कोशिशें
तुम वो हो जो दूसरों को दिख जाओगे
(चित्र गूगल से आभार )
15 Comments:
Bahut accha likha hai aapne ritu
कई बार ऐसा होता है इंसान दिखाना जो चाहता है वो होता नहीं ... पर वैसा दिख जाता है ... बहुत खूब लिखा है ...
धन्यवाद !!
धन्यवाद
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "व्हाट्सएप्प राशिफल - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 04 नवम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बढ़िया
धन्यवाद !!
ज़रूर !! आभार आपका !
बहुत धन्यवाद !
सुन्दर शब्द रचना.............
http://savanxxx.blogspot.in
आपका धन्यवाद !!
कम शब्दों में बड़ी बड़ी बातें लिखना भी एक कला है
धन्यवाद आपका
बहुत अच्छे अल्फाझ। रीतुजी। as I read you more getting enlightened about your expressions n thoughts....
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