हो न हो ...
मेरी ख्वाहिशें मेरी तसल्लियाँ
बे मतलब की ये हिचकियाँ
कभी सोचते हैं हो न हो
कभी सोचते हैं के हो न हो ..
मंझदार सी ये सिसकियाँ
मौजों से दूर ये किश्तियाँ
कभी सोचते हैं हो न हो
कभी सोचते हैं के हो न हो ..
वहां दूर कहीं मेरी बस्तियां
रंगरेलियां और मस्तियाँ
कभी सोचते हैं हो न हो
कभी सोचते हैं के हो न हो ..
बेमतलब की वो गलतियां
छूटी हथेलियों से तितलियाँ
कभी सोचते हैं हो न हो
कभी सोचते हैं के हो न हो ..
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