Friday 25 July 2014

कुछ दूर पड़े थे सितारे ....


कुछ दूर पड़े  थे सितारे,
बस  हाथ भर की ही दूरी थी 
पहुँच न पाए उन तक ,ये मेरी मजबूरी थी ..
कह न पाए दास्तान जो अधूरी थी ..
कुछ रस्में निभाना भी ज़रूरी थी...

(चित्र गूगल से )

5 Comments:

At 25 July 2014 at 19:45 , Blogger विभूति" said...

बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
अभिव्यक्ति........

 
At 31 July 2014 at 03:02 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

रस्मों से ही जीवन है ... उन्हें तो निभाना जरूरी ही है ...

 
At 27 November 2015 at 08:33 , Blogger Unknown said...

Very nice.

 
At 27 November 2015 at 08:33 , Blogger Unknown said...

Very nice.

 
At 8 December 2015 at 18:17 , Blogger RITU BANSAL said...

धन्यवाद आप मेरे ब्लॉग पर आये ..!!

 

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