हारश्रिंगार ..
जीत में हो या चाहत में हो ,हर हार में एक मज़ा यार है
सोने चांदी के हों या पुष्पों के ,हर हार में छुपा प्यार है
हर जीत पे सजता हार है ..
कभी प्रिय के तो कभी हरी के ,मुख का ये श्रृंगार है
हार कर दिल जीत होती ,हार प्रिय प्रेम का उपहार है
हार जीत को प्रेरित करती ,कभी हार ..वैभव का आधार है
बचपन से बुढापा हार कर ,सहर्ष जीवन बनता आधार है
यूँ परस्पर जीवन मृत्यु ,ये जीवन हारश्रिंगार है ...
(चित्र गूगल से साभार )
(चित्र गूगल से साभार )
3 Comments:
अच्छा लिखा शुभकामनायें
बेहतरीन प्रस्तुति
हृदय फलक पर गहरी छाप छोड़ती है ।
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