उलझन
यादों के धूमिल पलछिन को
वादों के गिनगिन उन दिन को
प्यार भरे उन अफ्सानो को
मैं भूलूँ या न भूलूँ
संग उनके बिखरे सपनों को
कुछ गैरों को कुछ अपनों को
शत्रंजों की उन चालों को
मैं खेलूँ या न खेलूँ
जो जब चाहा मौन रहा
जिसने जब चाह 'गौण' कहा
उनके डगमग हिंडोलों में
मैं झूलूँ या न झूलूँ
ऊंचा उड़ने की ख्वाइश है
रब से कुछ फरमाइश हैं
इन्द्रधनुष ,गगन में उड़के
मैं छु लूं या न छु लूं
दिल कहता है भर जायेंगी
आशाएं अब घर आयेंगी
मन की उन हसरतों को
मैं पा लूं या न पा लूं .
(चित्र गूगल से है )
15 Comments:
प्यारी रचना | सुन्दर भाव |
वाह बहुत खूब ...
मुझ से मत जलो - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
बहुत सुन्दर पोस्ट। एक बार मेरी नयी पोस्ट -"क्या आप इंटरनेट पर ऐसे मशहूर होना चाहते है?" पर भी आप अपनी दृष्टि अवश्य डाले । धन्यवाद
मेरा ब्लॉग पता है - harshprachar.blogspot.com
एक और बेहतरीन रचना के लिए बधाइयाँ !
दिल कहता है भर जायेंगी
आशाएं अब घर आयेंगी
मन की उन हसरतों को
मैं पा लूं या न पा लूं .
वाह ... बहुत बढिया प्रस्तुति।
जो दिल कहे वही करें....असमंजस में न रहें...
सुन्दर रचना रितु...
अनु
Man ki uljhan ko sarthak shabd diye hain ....lajawab prastuti ...
asha sanjoy rakhen ...
sundar rachna ...!!
बहुत बढ़िया बेहतरीन रचना ,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
खूबसूरत रचना !
जो जब चाहा मौन रहा
जिसने जब चाह 'गौण' कहा
उनके डगमग हिंडोलों में
मैं झूलूँ या न झूलूँ
खूबसूरती से एहसास को पिरोया है ।
बहुत ही बढ़िया
सादर
bahut sundar rachna ............hamesha apne dil ki sunni chahiye
बहुत ही सरल और बहुत ही बढ़िया.मज़ा आ गया.
दिल की करें...बहुत बढिया रचना :)
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