Monday, 23 April 2012

मन आइना ..

      
   कई बार आइना देख कर भी खुद को न पहचाना कभी 
तू आईने में नहीं ,देख अपनेआप में भी आइना कभी 
नित भरमाता रहा ,इतराता रहा ,हर्षाता रहा 
सोचे  आइने में प्रतिबिम्ब रहा दिखाई 
करता रहा श्रृंगार बदल बदल कर रूप 
पढता रहा अपने अक्स पर आकर्षण की लिखाई 
पर न अपना मन पढ़ पाया 
न ही अंक में स्वयं दिया तुझे दिखाई 
तू हरी में तुझ में ही हरी 
मन गागर में ही दिख जाए स्वयं की परछाई 

(चित्र गूगल से )

23 Comments:

At 23 April 2012 at 01:41 , Blogger sangita said...

मन गागर में ही दिख जाए स्वयं की परछाई :
wah ....sundar atisundar .mere blog ki nai post par svagat hae.

 
At 23 April 2012 at 02:41 , Blogger vandana gupta said...

बहुत खूब प्रस्तुति

 
At 23 April 2012 at 04:37 , Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुंदर रितु जी...........

सार्थक जीवन दर्शन....

 
At 23 April 2012 at 06:22 , Blogger धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,....

MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...

 
At 23 April 2012 at 06:33 , Anonymous sm said...

सच्ची रचन

 
At 23 April 2012 at 06:55 , Blogger रविकर said...

वाह -
जबरदस्त ।

 
At 23 April 2012 at 07:46 , Blogger रश्मि प्रभा... said...

अपने आईने में देखते ही सब साफ़ हो जायेगा , पर ...

 
At 23 April 2012 at 08:24 , Blogger विभूति" said...

सशक्त और प्रभावशाली प्रस्तुती....

 
At 23 April 2012 at 11:49 , Blogger Atul Shrivastava said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
आपकी एक टिप्‍पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

 
At 23 April 2012 at 17:36 , Blogger Dr.J.P.Tiwari said...

Anubhuti ke sarthak kadam. Thanks for nice post.

 
At 23 April 2012 at 20:05 , Blogger udaya veer singh said...

क्या बात है, मुखर व प्रखर सृजन ..../

 
At 23 April 2012 at 21:06 , Blogger RITU BANSAL said...

धन्यवाद आपका ..

 
At 23 April 2012 at 21:06 , Blogger RITU BANSAL said...

धन्यवाद..!

 
At 23 April 2012 at 21:07 , Blogger RITU BANSAL said...

धन्यवाद आपका आप हमारे ब्लॉग पर पधारे ..

 
At 23 April 2012 at 21:08 , Blogger RITU BANSAL said...

धन्यवाद ..!

 
At 23 April 2012 at 21:09 , Blogger RITU BANSAL said...

धन्यवाद..!

 
At 24 April 2012 at 01:25 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

अपने अंदर ही झांकना पढता है खुद का असल चेहरा देखने के लिए ..
बहुत खूब ...

 
At 24 April 2012 at 01:46 , Blogger Kunwar Kusumesh said...

प्रभावशाली रचना.

 
At 24 April 2012 at 02:06 , Blogger Rajesh Kumari said...

man ke aaine me khud ko paana aur sanvaarna...vaah bahut umda bhaav bahut sundar.

 
At 24 April 2012 at 09:10 , Blogger रचना दीक्षित said...

तू हरी में तुझ में ही हरी

बहुत सुंदर.

 
At 24 April 2012 at 10:26 , Blogger Rakesh Kumar said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
मन प्रसन्न हो गया है पढकर.

मेरे ब्लॉग पर आपके आने का आभार.

 
At 24 April 2012 at 16:16 , Blogger चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब!!

 
At 25 April 2012 at 20:48 , Blogger Amrita Tanmay said...

भावमयी प्रस्तुति..

 

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