छाँव
जहां तू बसे ,जो हो प्यारा मनोहर ,
मुझे ऐसी धरती ,ऐसा गाँव दे दो ,
उस घने पीपल की घनी पत्तियों से
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
जो थिरके सुमधुर तुम्हारी ही धुन पर
मुझे ऐसे पावन पाँव दे दो
वो सुन्दर सी पीली ओढ़नि में
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
तुम्ही में रहूँ ,मैं तुम्ही में बसूँ
मुझे ऐसे कोमल भाव दे दो
उठती गिरती घनी पलकों में से
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
लम्बा सफ़र है, जाना है पार
मुझे ऐसा नाविक ,ऐसी नाव दे दो
तुम्हारे ही आँचल में सो कर न उठूँ
मुझे ऐसे आँचल की छाँव दे दो
19 Comments:
बड़ा कोमल भाव है। अच्छा लगा।
लम्बा सफ़र है, जाना है पार
मुझे ऐसा नाविक ,ऐसी नाव दे दो
तुम्हारे ही आँचल में सो कर न उठूँ
मुझे ऐसे आँचल की छाँव दे दो
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
कलम माँगती दान है, कान्हा दया दिखाव ।
ऋतु आई है दीजिये, नव पल्लव की छाँव ।
नव पल्लव की छाँव, ध्यान का द्योतक पीपल।
फिर से गोकुल गाँव, पाँव हो जाएँ चंचल ।
छेड़ो बंशी तान, चुनरिया प्रीत उढ़ाओ ।
रस्ता होवे पार, प्रभु उस नाव चढ़ाओ ।।
अगर टिप्पणी अनर्गल लगे तो माफ़ करें ।
लम्बा सफ़र है, जाना है पार
मुझे ऐसा नाविक ,ऐसी नाव दे दो waah gazab ka expression ritu jee.....
जो थिरके सुमधुर तुम्हारी ही धुन पर
मुझे ऐसे पावन पाँव दे दो
वो सुन्दर सी पीली ओढ़नि में
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो ... gr8
bahut sundar rachna
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति भी है,
आज चर्चा मंच पर ||
शुक्रवारीय चर्चा मंच ||
charchamanch.blogspot.com
इतने सुन्दर शब्द!!
रविकर जी आपका कोटि कोटि आभार ..
कोमल अभव्यक्ति सुन्दर भाव बधाई .....
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
.......इस उत्कृष्ट रचना के लिए ... बधाई स्वीकारें.
वाह! उन्नत भाव... सुंदर रचना...
सादर।
बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
तुम्ही में रहूँ ,मैं तुम्ही में बसूँ
मुझे ऐसे कोमल भाव दे दो
उठती गिरती घनी पलकों में से
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
बहुत खूब।
लम्बा सफ़र है, जाना है पार
मुझे ऐसा नाविक ,ऐसी नाव दे दो
तुम्हारे ही आँचल में सो कर न उठूँ
मुझे ऐसे आँचल की छाँव दे दो.
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
प्रभू के चरणों में जगह मिल जायेर तो सबसे उत्तम ... अनुपम रचना ...
बहुत सुंदर भाव ...
कोमल प्रार्थनामय रचना ...
बधाई एवं शुभकामनायें ...
सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_25.html
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/03/blog-post_12.html
तुम्ही में रहूँ ,मैं तुम्ही में बसूँ
मुझे ऐसे कोमल भाव दे दो
उठती गिरती घनी पलकों में से
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
बहुत सुंदर शब्द व भाव !
रितु जी नमस्कार...
आपके ब्लॉग 'कमलदान' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 5 अगस्त को 'छांव...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
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