Thursday, 1 March 2012

मैं भी क्यों न होरी !!

क्या सचमुच खेली थी कान्हा ने
वृन्दावन में होरी
क्या सचमुच नाचे थे कान्हा जी
गोपीन संग हमजोरी
क्या मारी थी पिचकारी , भीगी राधा की सारी
क्या रंगे गोपियों संग अबीर से बारी बारी
क्या पकडे हाथ थे कहीं ,कहीं छोड़ भागे बनवारी ,
क्या सुन्दर द्रश्य देख आनंद करे देव देवी ,नर नारी
क्या सचमुच भीग गयी थी
राधा रानी की चोली
क्या सचमुच परमानंद को
        तरसे भोला भोली  (शिव पार्वती )
      अब न वृन्दावन है ,न कान्हा जी
न राजमहल की होरी
विस्मृत हो बस सोचा करती
तब मैं भी क्यों न होरी !!

{चित्र गूगल से }

14 Comments:

At 1 March 2012 at 20:33 , Blogger रविकर said...

NICE

 
At 1 March 2012 at 20:50 , Blogger S.N SHUKLA said...

सार्थक तथा सामयिक पोस्ट, आभार.

 
At 1 March 2012 at 21:15 , Blogger रश्मि प्रभा... said...

बहुत सुन्दर ख्याल

 
At 2 March 2012 at 00:06 , Blogger Jeevan Pushp said...

अब तो होली के रंग फीके पड़ते जा रहे है !
सुन्दर ख्याल !

 
At 2 March 2012 at 03:58 , Blogger धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति,इस समायिक रचना के लिए, ऋतू जी,... बधाई,...

NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
NEW POST ...फुहार....: फागुन लहराया...

 
At 2 March 2012 at 04:44 , Blogger विभूति" said...

बहुत ही खुबसूरत ख्यालो से रची रचना......बहुत ही खुबसूरत रंगों से भरा हो आपका होली का त्यौहार.....

 
At 2 March 2012 at 19:19 , Blogger मनोज कुमार said...

सच है, अब न वृंदावन, न कान्हा न वह होरी, बरजोरी।

 
At 3 March 2012 at 10:53 , Blogger Atul Shrivastava said...

वाह!
बेहतरीन।
होली का बेहतरीन माहौल बना दिया आपने।

 
At 3 March 2012 at 20:15 , Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

 
At 3 March 2012 at 20:15 , Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
रंगों के पावन पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

 
At 3 March 2012 at 20:26 , Blogger Smart Indian said...

वृन्दावन क्या, कृष्ण जी ने तो सारा भारत ही अपने रंग में रंग लिया है।

 
At 3 March 2012 at 23:16 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

वाह ... कान्हा के संग में रंगना कौन नहीं चाहेगा ..

 
At 4 March 2012 at 10:27 , Blogger Savita Tyagi said...

Such beautiful poem. Loved it.

 
At 4 May 2012 at 20:35 , Blogger udaya veer singh said...

सार्थक तथा सामयिक पोस्ट, आभार.

 

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