Thursday, 13 September 2012

कभी दौर वो भी थे ,कभी दौर ये भी हैं ..



कभी  दौर वो भी थे ,कभी  दौर ये भी हैं ..
कभी तुम किधर थे ,आज हम किधर हैं ..
कभी आ के गए कभी हम आये बार बार 
कभी कुछ न पुछा  ,कभी हम रोये बार बार 
कुछ गुस्ताखियाँ हुईं , कुछ लम्हों का फासला हुआ ..
कुछ दिन बीत गए ,कुछ रात ने कहा ..
कुछ इठलाती बेज़ुबानी थी ,कुछ और ही कहानी थी 
कुछ मंजिले हंसी थी , कभी रात कोई रूहानी थी 
कभी बांटते थे हम ज़िन्दगी कभी मांगते थे कोई रिश्ता 
कभी संग बूंदों के ,कोई मस्त सी कहानी थी 
कभी दुआ में उठते थे हाथ ,कभी सोयी हुई रुबानी थी 
कुछ कह के गए कभी कोई बात जो पुरानी थी 
कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..
(चित्र गूगल से )

16 Comments:

At 13 September 2012 at 07:27 , Blogger virendra sharma said...

कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं (यूं ही )हम मौन थे ..

आज पूछते हम हमीं से ,के हम उनके कौन थे ..अच्छा मानसिक कुन्हासा है अतीत के भूले बिसरे मृदुल क्षण हैं .बढिया प्रस्तुति .
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
आलमी होचुकी है रहीमा की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी किश्त )

http://veerubhai1947.blogspot.com/

 
At 13 September 2012 at 07:36 , Blogger Rajesh Kumari said...

कभी बांटते थे हम ज़िन्दगी कभी मांगते थे कोई रिश्ता
कभी संग बूंदों के ,कोई मस्त सी कहानी थी
कभी दुआ में उठते थे हाथ ,कभी सोयी हुई रुबानी थी
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ बहुत अच्छी रचना

 
At 13 September 2012 at 08:07 , Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

वाह...
बहुत सुन्दर.......
अनु

 
At 13 September 2012 at 09:39 , Blogger धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...


कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..बहुत बेहतरीन रचना,,,

RECENT POST -मेरे सपनो का भारत

 
At 13 September 2012 at 12:02 , Blogger Unknown said...

बढ़िया रचना |बधाई | साथ में हिन्दी दिवस की शुभकामनायें |

 
At 13 September 2012 at 19:07 , Blogger Udan Tashtari said...

वाह!

 
At 14 September 2012 at 01:06 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

मन के भाव शब्दों में पिरो दिए ...
एहसास भटकने लगे दिल के आस पास ...

 
At 14 September 2012 at 06:44 , Blogger संध्या शर्मा said...

कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..
बहुत सुन्दर ...

 
At 14 September 2012 at 09:25 , Blogger Unknown said...

मेरी पोस्ट में आपका स्वागत है |
जमाना हर कदम पे लेने इम्तिहान बैठा है

 
At 14 September 2012 at 23:14 , Blogger अरुन अनन्त said...

बेहतरीन प्रस्तुति

 
At 15 September 2012 at 00:36 , Blogger सदा said...

वाह ... बेहतरीन प्रस्‍तुति।

 
At 16 September 2012 at 09:40 , Blogger मेरा मन पंछी सा said...

वाह||
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
अति सुन्दर...
:-)

 
At 29 September 2012 at 07:22 , Blogger priyankaabhilaashi said...

सुन्दर..!!

 
At 12 October 2012 at 04:46 , Blogger Anupama Tripathi said...

कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..

सुंदर रचना ....

 
At 26 November 2012 at 05:50 , Blogger savita tyagi said...

Very lovely poem. Enjoyed reading it so much. Keep writing and keep sharing.

Savita

 
At 4 December 2012 at 01:27 , Blogger गुरप्रीत सिंह said...

रचना मन को स्पर्श कर गई।
इसे शेयर कर रहा हूँ।
www.yuvaam.blogspot.com

 

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