कभी दौर वो भी थे ,कभी दौर ये भी हैं ..
कभी दौर वो भी थे ,कभी दौर ये भी हैं ..
कभी तुम किधर थे ,आज हम किधर हैं ..
कभी आ के गए कभी हम आये बार बार
कभी कुछ न पुछा ,कभी हम रोये बार बार
कुछ गुस्ताखियाँ हुईं , कुछ लम्हों का फासला हुआ ..
कुछ दिन बीत गए ,कुछ रात ने कहा ..
कुछ इठलाती बेज़ुबानी थी ,कुछ और ही कहानी थी
कुछ मंजिले हंसी थी , कभी रात कोई रूहानी थी
कभी बांटते थे हम ज़िन्दगी कभी मांगते थे कोई रिश्ता
कभी संग बूंदों के ,कोई मस्त सी कहानी थी
कभी दुआ में उठते थे हाथ ,कभी सोयी हुई रुबानी थी
कुछ कह के गए कभी कोई बात जो पुरानी थी
कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..
(चित्र गूगल से )
16 Comments:
कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं (यूं ही )हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से ,के हम उनके कौन थे ..अच्छा मानसिक कुन्हासा है अतीत के भूले बिसरे मृदुल क्षण हैं .बढिया प्रस्तुति .
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012
आलमी होचुकी है रहीमा की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी किश्त )
http://veerubhai1947.blogspot.com/
कभी बांटते थे हम ज़िन्दगी कभी मांगते थे कोई रिश्ता
कभी संग बूंदों के ,कोई मस्त सी कहानी थी
कभी दुआ में उठते थे हाथ ,कभी सोयी हुई रुबानी थी
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ बहुत अच्छी रचना
वाह...
बहुत सुन्दर.......
अनु
कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..बहुत बेहतरीन रचना,,,
RECENT POST -मेरे सपनो का भारत
बढ़िया रचना |बधाई | साथ में हिन्दी दिवस की शुभकामनायें |
वाह!
मन के भाव शब्दों में पिरो दिए ...
एहसास भटकने लगे दिल के आस पास ...
कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..
बहुत सुन्दर ...
मेरी पोस्ट में आपका स्वागत है |
जमाना हर कदम पे लेने इम्तिहान बैठा है
बेहतरीन प्रस्तुति
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
वाह||
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
अति सुन्दर...
:-)
सुन्दर..!!
कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..
सुंदर रचना ....
Very lovely poem. Enjoyed reading it so much. Keep writing and keep sharing.
Savita
रचना मन को स्पर्श कर गई।
इसे शेयर कर रहा हूँ।
www.yuvaam.blogspot.com
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