तन्हाई ..
आप सब के कहने से एक बार फिर लिख रही हूँ अपने ब्लॉग पर ..जिस किसी मित्र को पसंद आये और वो शेयर करना चाहे ,उनसे विनती है की रचियता को उसके अधिकार से वंचित न करें ..उसकी कृति उसका परिश्रम है ..उसका सम्मान कर कृपया एक बार उसकी आज्ञा ज़रूर लें ..
..धन्यवाद।।
कानो में आके कुछ कह गयी तन्हाई ..
क्यूँ उस की याद आई क्यूँ उस की याद आई ..
बिन बोले ज्यूँ सब कुछ यूँ दे गया हो सुनाई
बिना बात ख़्वाबों के ताने बाने बुन आई ..
शाम ढलने को है ...फिर उसकी याद सताई ..
मद्धम सी रौशनी में क्यूँ वो दे रहा दिखाई
बावरी पवन के झोंके सी ..रात अधूरी खिल आई
मन के धरातल पर पूरी पड़ी वो रंगत वो परछाई ..
रंगीनियत रूह की ..कभी तन की भीनी अंगडाई
बेबाक अधरों पर पंखुड़ी सी सुर्ख लालिमा उभरायी
हया के नूर से जब बेचैनी मुस्कुराई ..
हज़ार रंग बन कर रात खिलखिलाई इठलाई ..
( चित्र गूगल के सौजन्य से )
11 Comments:
बहुत खूब सुंदर प्रस्तुति,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
behtreen rachna...
बहुत सुन्दर रचना....
बड़े दिनों बाद आपको पढना अच्छा लगा.
अनु
धन्यवाद अनु ..आप लोगों ने ही प्रोत्साहित किया ..
आभार
बढ़िया प्रस्तुति |
शुभकामनायें आदरेया ||
बिन बोले ज्यूँ सब कुछ यूँ दे गया हो सुनाई
बिना बात ख़्वाबों के ताने बाने बुन आई ..
ये उनके प्रेम का असर है जो अनायास ही आता है ... मस्त कर जाता है ...
मद्धम सी रौशनी में क्यूँ वो दे रहा दिखाई
बावरी पवन के झोंके सी ..रात अधूरी खिल आई
कभी कभी तन्हाई भी कितनी अच्छी लगती है ,,,
सुन्दर भावाभिव्यक्ति ,,,
अति-सुन्दर
लिखना बंद ना करें-
सृजन होता रहे-
सादर ||
भावभरी मीठी सी कविता..आभार !
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
Nice blog!!!
But no updates for some time now...
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