किश्तों में देता है ...
दिया तूने प्यार बेशुमार ,मगर
इज़हार तू किश्तों में देता है ..
दोस्त मिले हर बार ,मगर
यार तू.. किश्तों में देता है ..
जीने के लिए उम्र बेशुमार ,मगर
संसार तू किश्तों में देता है ..
साँसों को हर 'पल' का इंतज़ार ,मगर
करार तू ..किश्तों में देता है ..
बादल कितने भी हों घनार ,मगर
फुहार तू किश्तों में देता है ..
हमसफ़र मिले हज़ार ,मगर
मददगार तू.. किश्तों में देता है ...
(चित्र गूगल से साभार )
6 Comments:
बहुत खूब ... अपनी अपनी आदत की बात है ....
क्या बात है .... बहुत ही अच्छा लिखा है
very true.Nice poem.
बहुत सुंदर ।
सही बात...सामयिक भाव
अविकार जी ,दिगंबर नसवा जी .सदा ,परमेश्वर चौधरी जी ,सुशिल कुमार जोशी जी ,..तहे दिल से आपका आभार ,समय निकाल कर कलमदान पर पधारने के लिए ...
ऋतू बंसल
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