Sunday, 20 July 2014

...चार बातें .....


    1......सख्त ज़मी पर नमी भी नहीं ,मेरे तसव्वुर में कहीं कमी तो नहीं 
दो बूंदों से ही सिर्फ महक जाती है रेत, क्यूँ कभी ओस जमी ही नहीं ...

       2........मैं तलबदार नहीं खामोशियों का ..मुझे गुफ्तगू अच्छी लगती है ..
मुझे परेशानियां नहीं ...खुशियाँ रूबरू अच्छी लगती हैं ..

3.........कसम साथ चलने की जो संग तुम्हारे ,हमने हमने खायी है ..
क्यूँ डरें रंजो गम से ..के संग जब सितारों की रहनुमाई है ..

4.........................ये धुंध सी क्यों छाई है ,या फिर कोई परछाई है ..
कुछ दिखाई नहीं देता ..या अश्कों की रानाई  है ..

(चित्र गूगल से साभार )

9 Comments:

At 20 July 2014 at 22:25 , Blogger yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना मंगलवार 22 जुलाई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

 
At 20 July 2014 at 23:11 , Blogger कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत उम्दा |
कर्मफल |
अनुभूति : वाह !क्या विचार है !

 
At 21 July 2014 at 10:37 , Blogger संध्या शर्मा said...

बेहद खूबसूरत चार बातें ...

 
At 21 July 2014 at 23:11 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... सभी शेर अलग अंदाज़ बयान कर रहे हैं ...

 
At 21 July 2014 at 23:39 , Blogger आशीष अवस्थी said...

बहुत सुंदर ऋतू जी धन्यवाद !
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At 21 July 2014 at 23:54 , Blogger Unknown said...

सुंदर रचना !

 
At 22 July 2014 at 22:11 , Blogger विभूति" said...

मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...

 
At 22 July 2014 at 22:11 , Blogger विभूति" said...

मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...

 
At 23 July 2014 at 02:30 , Blogger Unknown said...

अद्भुत भाव

 

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