यूँ तुम से बिछड़ कर हम ....
(चित्र गूगल से साभार )
यूँ तुम से बिछड़ के हम रह नहीं पाते हैं
कैसे कहें कुछ कह नहीं पाते हैं ..
ये उम्र यूँ ही कट रही है ..
कुछ है जो हम सह नहीं पाते हैं
यूँ तुम से बिछड़ कर हम रह नहीं पाते हैं ..
अनजाना सा लगता ये शेहर है ..
अनजाने से लगते सब नाते हैं ..
हम मन ही मन में घबराते हैं
यूँ तुम से बिछड़ के हम रह नहीं पाते हैं
न सोचा था तुमने .न सोचा था हमने
कैसे बने हैं बंधन कैसे नाते हैं ..
न रातें कटती हैं ..न दिन काटे जाते हैं
यूँ तुमसे बिछड़ के हम रह नहीं पाते हैं ..
कभी कुछ कहना होता है तुमसे ,
कभी कभी की कुछ ऐसी बातें हैं
जो न खुदी सुनते हैं न सुना पाते हैं
यूँ तुमसे बिछड़ कर हम रह नहीं पाते हैं
2 Comments:
बहुत सुन्दर ..
धन्यवाद ..!
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