कलमदान
यह एक ऐसा पट है जहां ज़िन्दगी के अनुभव एक चाय के प्याले में जीवन की मिश्री और रंग के सामान घुले हुए नज़र आते हैं..बस ज़रुरत है तो एक घूँट पीने की .. This is a platform to melt the emotions into the cappuccino of LIFE..and then sip the creamy effervescence of experiences..!!
Friday, 25 July 2014
Sunday, 20 July 2014
...चार बातें .....
1......सख्त ज़मी पर नमी भी नहीं ,मेरे तसव्वुर में कहीं कमी तो नहीं
दो बूंदों से ही सिर्फ महक जाती है रेत, क्यूँ कभी ओस जमी ही नहीं ...
2........मैं तलबदार नहीं खामोशियों का ..मुझे गुफ्तगू अच्छी लगती है ..
मुझे परेशानियां नहीं ...खुशियाँ रूबरू अच्छी लगती हैं ..
3.........कसम साथ चलने की जो संग तुम्हारे ,हमने हमने खायी है ..
क्यूँ डरें रंजो गम से ..के संग जब सितारों की रहनुमाई है ..
4.........................ये धुंध सी क्यों छाई है ,या फिर कोई परछाई है ..
कुछ दिखाई नहीं देता ..या अश्कों की रानाई है ..
दो बूंदों से ही सिर्फ महक जाती है रेत, क्यूँ कभी ओस जमी ही नहीं ...
2........मैं तलबदार नहीं खामोशियों का ..मुझे गुफ्तगू अच्छी लगती है ..
मुझे परेशानियां नहीं ...खुशियाँ रूबरू अच्छी लगती हैं ..
3.........कसम साथ चलने की जो संग तुम्हारे ,हमने हमने खायी है ..
क्यूँ डरें रंजो गम से ..के संग जब सितारों की रहनुमाई है ..
4.........................ये धुंध सी क्यों छाई है ,या फिर कोई परछाई है ..
कुछ दिखाई नहीं देता ..या अश्कों की रानाई है ..
(चित्र गूगल से साभार )
Thursday, 17 July 2014
हारश्रिंगार ..
जीत में हो या चाहत में हो ,हर हार में एक मज़ा यार है
सोने चांदी के हों या पुष्पों के ,हर हार में छुपा प्यार है
हर जीत पे सजता हार है ..
कभी प्रिय के तो कभी हरी के ,मुख का ये श्रृंगार है
हार कर दिल जीत होती ,हार प्रिय प्रेम का उपहार है
हार जीत को प्रेरित करती ,कभी हार ..वैभव का आधार है
बचपन से बुढापा हार कर ,सहर्ष जीवन बनता आधार है
यूँ परस्पर जीवन मृत्यु ,ये जीवन हारश्रिंगार है ...
(चित्र गूगल से साभार )
(चित्र गूगल से साभार )
Monday, 14 July 2014
किश्तों में देता है ...
दिया तूने प्यार बेशुमार ,मगर
इज़हार तू किश्तों में देता है ..
दोस्त मिले हर बार ,मगर
यार तू.. किश्तों में देता है ..
जीने के लिए उम्र बेशुमार ,मगर
संसार तू किश्तों में देता है ..
साँसों को हर 'पल' का इंतज़ार ,मगर
करार तू ..किश्तों में देता है ..
बादल कितने भी हों घनार ,मगर
फुहार तू किश्तों में देता है ..
हमसफ़र मिले हज़ार ,मगर
मददगार तू.. किश्तों में देता है ...
(चित्र गूगल से साभार )