Sunday 2 December 2012

सर्दी की हवा ...







कौन कहता है इन रातों में बेखबर से सोये थे हम 
सर्द रातों में अलावों पर सेक रहे थे सपनों को 
सिहर उठती थी रूह जब पास से गुज़र जाती थीं तुम 
और भी उड़ जाती थी रंगत मेरी हथेलियों की 
तरसते थे पाने को एक कौना बिस्तरबंद का 
जब लहरा के पलट कर बल खा के तुम फिर आ जातीं थीं
(चित्र गूगल से )

7 Comments:

At 3 December 2012 at 00:02 , Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर....
ठिठुरते एहसास...
:-)

अनु

 
At 3 December 2012 at 00:11 , Blogger अरुन अनन्त said...

वाह गहन अभियक्ति बेहद उम्दा रचना बधाई स्वीकारें
अरुन शर्मा
www.arunsblog.in

 
At 3 December 2012 at 06:53 , Blogger Rajesh Kumari said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 4/12/12को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है

 
At 3 December 2012 at 09:12 , Blogger धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत खूबशूरत सुंदर अहसास,,,

recent post: बात न करो,

 
At 5 December 2012 at 01:08 , Blogger Madan Mohan Saxena said...

शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन.
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी.बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

 
At 9 December 2012 at 04:11 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

उनका एहसास भी कितना कुछ कर जाता है ...

 
At 13 December 2012 at 03:23 , Blogger सदा said...

अनुपम भाव ... बेहतरीन प्रस्‍तुति

 

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