Wednesday 22 August 2012

मन की बातें..






1-आराम से बैठ कर सितारों ने महफ़िल जमाई है
बात चली घटाओं की जहां हवाओं की आवाजाही है ..
रुक कर पुछा बूंदों ने ,मिलेगा आशियाना यहाँ..
ले लो संग हमें भी ,आज अश्कों से रुसवाई है ..

2-भीग जायेंगे हम जो तुम बरस जाओ..
इस कदर न हमको अब तरसाओ 
रोज़ खटखटाते हो तुम ये दरवाज़ा 
हम दिल खोले खड़े हैं , बस तुम आ जाओ

3-पसोपेश में हैं मन से लिखें या कलम से 
कागज़ की सतह बनाएं या यूँ ही रहने दें..
बहुत चुनिन्दा हैं इस दिल की हसरतें ..
कह के बतला दें, या फिर यूँ ही रहने दें...

4-ऐ निष्ठुर बदरा तू , ऐसे क्यूँ ताके है ..
क्यूँ मौन हो गया .क्यूँ बरखा के फाके हैं 
इस धरती से क्या तेरा मन ऊब गया 
या सागर से तू रूठ गया 
या कुछ और ही तेरे बन गए नाते हैं 
ऐ निष्ठुर बदरा तू , ऐसे क्यूँ ताके है ..

5-मैंने जाना, जान कर जाना ..
फिर वो आ गए और 
जान ले गए ..
जब जाँ निकल गयी तो..
बस, जाना.. जाना


17 Comments:

At 22 August 2012 at 09:32 , Blogger sangita said...

बहुत खूब ,शानदार पोस्ट |

 
At 22 August 2012 at 09:33 , Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

सुन्दर....बहुत सुन्दर...

अनु

 
At 22 August 2012 at 10:06 , Blogger amit kumar srivastava said...

अच्छी सी हैं मन की बातें ...|

 
At 22 August 2012 at 12:04 , Blogger Nirantar said...

badhiya ,bahut badhiya

 
At 22 August 2012 at 15:26 , Blogger virendra sharma said...

अच्छी भाव कणिका है राग भी है रुसवाई भी है ....कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बुधवार, 22 अगस्त 2012
रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
What Puts The Ache In Headache?

 
At 22 August 2012 at 20:27 , Blogger दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज 23/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें

चर्चा - 980 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

 
At 22 August 2012 at 22:17 , Blogger Suman said...

रुक कर पुछा बूंदों ने ,मिलेगा आशियाना यहाँ..

ले लो संग हमें भी ,आज अश्कों से रुसवाई है ..
bahut sundar ...

 
At 23 August 2012 at 01:58 , Blogger मेरा मन पंछी सा said...

बहुत-बहुत सुन्दर:-)

 
At 23 August 2012 at 02:51 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

भीग जायेंगे हम जो तुम बरस जाओ..
इस कदर न हमको अब तरसाओ
रोज़ खटखटाते हो तुम ये दरवाज़ा
हम दिल खोले खड़े हैं , बस तुम आ जाओ ...

बहुत खूब ... लाजवाब मुक्तक है ... उनके आने का इंतज़ार ...

 
At 23 August 2012 at 09:34 , Blogger धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...


मैंने जाना, जान कर जाना ..
फिर वो आ गए और
जान ले गए ..
जब जाँ निकल गयी तो..
बस, जाना.. जाना,,,,,,लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,


RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,


 
At 23 August 2012 at 11:01 , Blogger संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ...

 
At 24 August 2012 at 03:46 , Blogger nirmal nirmal said...

पशोपेश में है मन से लिखें या कलम से...
आपकी कल्पना की उड़ान ने तो असमंजस में डाल दिया। शब्द ही नहीं कुछ कहने को.... बहुत खूब।

 
At 25 August 2012 at 02:17 , Blogger Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह ...खूबसूरत शब्द रचना

 
At 29 August 2012 at 00:11 , Blogger mridula pradhan said...

wah.....kya baat hai.....

 
At 30 August 2012 at 02:03 , Blogger priyankaabhilaashi said...

सुंदर..!!

 
At 1 September 2012 at 12:05 , Blogger चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब!

एक लम्बे अंतराल के बाद कृपया इसे भी देखें-

जमाने के नख़रे उठाया करो

 
At 1 September 2012 at 12:05 , Blogger चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब!

एक लम्बे अंतराल के बाद कृपया इसे भी देखें-

जमाने के नख़रे उठाया करो

 

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