Thursday 23 February 2012

चंदन की चांदनी ...

चंदन की चांदनी चंचल चंचल चमकीली
चाहूँ तो भी न आये चैना,चहूँ दिशायें नखरीली
चौकाएं चरू लताएं चाहें चन्दन संग चिन्मय हो जाएँ
चेह्चहाएं चुनिंदा चातक जब चकोर संग मिल जाएँ
चुस्की लेती रात चाँद चाशनी उसकी
लगे चुरा लूं एक बात बनके चोरनी उसकी
चुन चुन के लाऊँ चाहत के पल क्यों न चेतना में बस जाऊं
आज चांदी सी चांदनी चितवन ,चलो चाँद चादर में ले आऊं
चुप -चुप चालाकी से जब छुप जाता चंदन चंदेला
मन चेतक बन चिंतन में रहता ,फिर जाने कब आएगा ,अलबेला
चंपा चमेली सी कब महकेगी रात ,कब चौखट पर चाँद करेगा फेरे
कब चुनरी होगी चांदनी ,कब फिर चित्त पर डालेगा डेरे
आज चौगुना चाँद ,देखो कैसे चकित कर जाए
कैसे चख कर देखूं मैं ,चौतरफा चांदनी उलझाए
चैना खोकर अब चाहूँ .चाँद चिरंजीवी हो जाए
चंद्राकार मेरे नयनों को हर पल यूं  ही भरमाये 
(कविता 'अनुप्रास अलंकार ' में लिखी गयी है .. )
(चित्र गूगल की देन)

20 Comments:

At 23 February 2012 at 21:28 , Blogger S.N SHUKLA said...

सुन्दर सृजन, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.

 
At 23 February 2012 at 21:40 , Blogger vandana gupta said...

अनुप्रास अलंकार का बेहद खूबसूरती से रचना मे प्रयोग किया है …………शानदार्।

 
At 24 February 2012 at 01:53 , Blogger संध्या शर्मा said...

बहुत सुन्दर अनुपम रचना... अनुप्रास अलंकार का बहुत सुन्दर प्रयोग....

 
At 24 February 2012 at 01:53 , Blogger Kailash Sharma said...

बेहतरीन रचना...

 
At 24 February 2012 at 05:35 , Blogger RITU BANSAL said...

ये कविता मेरे मन को बहुत भाई ..शायद मेरे संकलन की एक अनुपम प्रस्तुति है यह ...
आप सभी ने पसंद कर के ,चार चाँद लगा दिए हैं..

 
At 24 February 2012 at 06:14 , Blogger विभूति" said...

सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

 
At 24 February 2012 at 06:20 , Blogger udaya veer singh said...

सुन्दर शब्द संसार रोचक, अनुपम भाव प्रभावशाली बधाईयाँ जी

 
At 25 February 2012 at 04:42 , Blogger प्रेम सरोवर said...

प्रस्तुति अच्छा लगी । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपकी उपस्थिति पार्थनीय है । धन्यवाद ।

 
At 25 February 2012 at 11:16 , Blogger Atul Shrivastava said...

सुंदर रचना।
गहरे भाव।

 
At 25 February 2012 at 22:43 , Blogger धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

अति उत्तम,सराहनीय प्रभावशाली प्रस्तुति,सुंदर रचना....के लिए बधाई

NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...

 
At 26 February 2012 at 22:48 , Blogger Dr. sandhya tiwari said...

चैना खोकर अब चाहूँ .चाँद चिरंजीवी हो जाए
चंद्राकार मेरे नयनों को हर पल यूं ही भरमाये

mujhe ye pankti bahut hi pasand hai-----bahut sundar rachna hai

 
At 27 February 2012 at 01:34 , Blogger RITU BANSAL said...

बहुत बहुत आभार ..आप सब पधारे..

 
At 27 February 2012 at 01:38 , Blogger RITU BANSAL said...

आपका ब्लॉग फोल्लो कर रही हूँ ..धन्यवाद..

 
At 27 February 2012 at 01:53 , Blogger दिगम्बर नासवा said...

वह .. अनुप्रास अलंकार का आभास ... मज़ा आ गया पड़ते हुवे ये रचना ...

 
At 27 February 2012 at 02:52 , Blogger Asha Lata Saxena said...

सुन्दर भावों से सजी रचना |बधाई |
आशा

 
At 27 February 2012 at 03:51 , Blogger Unknown said...

waah..............shaandaar shilp..umda rachna !

 
At 27 February 2012 at 07:55 , Blogger मेरा मन पंछी सा said...

bahut hi sundar,behtarin rachana:-)

 
At 27 February 2012 at 08:42 , Blogger मनोज कुमार said...

कविता के अनुप्रास की छटा देखते बनती हैं।

 
At 27 February 2012 at 09:58 , Blogger mridula pradhan said...

anupras ka sunder prayog.

 
At 28 February 2012 at 02:06 , Blogger Suman said...

sundar pryog ....

 

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