Friday, 25 May 2012

गर्मियों की छुट्टियां ..




साल भर से आ रही थी 
माँ के यादों की हिचकियाँ 
उन्ही के घर पे बीत रहीं 
ये गर्मियों की छुट्टियां 

काम धाम का नाम नहीं 
हम कहीं और बच्चे कहीं 
मिल रहे सहेलियों से 
भर के प्यार की झप्पियाँ 
कुछ इस तरह से बीत रही 
गर्मियों की छुट्टियां ..

बाज़ारों के हो रहे रोजाना ही फेरे
कभी काम हो माँ का ,कभी झमेले मेरे 
देर रात तक हो रहीं छीटाकशी की गप्पियां 
कुछ इस तरह से बीत रहीं 
गर्मियों की छुट्टियां ..

गली मोहल्ले के बच्चों संग 
बच्चे मित्र बन गए अंतरंग
प्यार लाड़ बहुत दे रही 
कालू काली की पिल्लियाँ 
कुछ इस तरह से बीत रही 
गर्मियों की छुट्टियां 

Thursday, 3 May 2012

ये मन न पछताए ..







देख एक सुन्दर बाला को 


मेरा मन हुआ कुछ ऐसा 

काश ! इतनी लम्बी खूबसूरत 

हम भी होते , लम्बी नाक रूप बेशुमार 

से कुछ हमको भी नक़्शे होते.
.
पहुंची जो नज़र उनके हाथों पे 

कुछ इस तरह हमे मिला सुकून ,

ऐ खुदा ,मेरे भगवन ,तुने सबको जैसा बनाया 

उसी से खुश हैं हम ,

शायद उनके हाथों के निशा 

बन जाते हमारे भी गम ..

कर कृपा इतनी ,अपने में दंभ न आये 

फिर कभी किसी को देख के 

ये मन न पछताए ..


(चित्र गूगल से )