तन्हाई ..
आप सब के कहने से एक बार फिर लिख रही हूँ अपने ब्लॉग पर ..जिस किसी मित्र को पसंद आये और वो शेयर करना चाहे ,उनसे विनती है की रचियता को उसके अधिकार से वंचित न करें ..उसकी कृति उसका परिश्रम है ..उसका सम्मान कर कृपया एक बार उसकी आज्ञा ज़रूर लें ..
..धन्यवाद।।
कानो में आके कुछ कह गयी तन्हाई ..
क्यूँ उस की याद आई क्यूँ उस की याद आई ..
बिन बोले ज्यूँ सब कुछ यूँ दे गया हो सुनाई
बिना बात ख़्वाबों के ताने बाने बुन आई ..
शाम ढलने को है ...फिर उसकी याद सताई ..
मद्धम सी रौशनी में क्यूँ वो दे रहा दिखाई
बावरी पवन के झोंके सी ..रात अधूरी खिल आई
मन के धरातल पर पूरी पड़ी वो रंगत वो परछाई ..
रंगीनियत रूह की ..कभी तन की भीनी अंगडाई
बेबाक अधरों पर पंखुड़ी सी सुर्ख लालिमा उभरायी
हया के नूर से जब बेचैनी मुस्कुराई ..
हज़ार रंग बन कर रात खिलखिलाई इठलाई ..
( चित्र गूगल के सौजन्य से )