Thursday, 13 September 2012

कभी दौर वो भी थे ,कभी दौर ये भी हैं ..



कभी  दौर वो भी थे ,कभी  दौर ये भी हैं ..
कभी तुम किधर थे ,आज हम किधर हैं ..
कभी आ के गए कभी हम आये बार बार 
कभी कुछ न पुछा  ,कभी हम रोये बार बार 
कुछ गुस्ताखियाँ हुईं , कुछ लम्हों का फासला हुआ ..
कुछ दिन बीत गए ,कुछ रात ने कहा ..
कुछ इठलाती बेज़ुबानी थी ,कुछ और ही कहानी थी 
कुछ मंजिले हंसी थी , कभी रात कोई रूहानी थी 
कभी बांटते थे हम ज़िन्दगी कभी मांगते थे कोई रिश्ता 
कभी संग बूंदों के ,कोई मस्त सी कहानी थी 
कभी दुआ में उठते थे हाथ ,कभी सोयी हुई रुबानी थी 
कुछ कह के गए कभी कोई बात जो पुरानी थी 
कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..
(चित्र गूगल से )

Thursday, 6 September 2012


उलझन


यादों के धूमिल पलछिन को 

वादों के गिनगिन उन दिन को 
प्यार भरे उन अफ्सानो को 
मैं भूलूँ  या न भूलूँ  

संग उनके बिखरे सपनों को
 कुछ गैरों  को कुछ अपनों को 
शत्रंजों की उन चालों को 
मैं खेलूँ या न खेलूँ 

 जो जब चाहा मौन रहा 
जिसने जब चाह 'गौण' कहा
उनके डगमग हिंडोलों में 
मैं झूलूँ  या न झूलूँ 

ऊंचा उड़ने की ख्वाइश है 
रब से कुछ फरमाइश हैं
इन्द्रधनुष ,गगन में उड़के
मैं छु लूं या न छु लूं 


दिल कहता है भर जायेंगी 
आशाएं अब घर आयेंगी 
मन की उन हसरतों को
 मैं पा लूं या न पा लूं .

(चित्र  गूगल से है )