कभी दौर वो भी थे ,कभी दौर ये भी हैं ..
कभी दौर वो भी थे ,कभी दौर ये भी हैं ..
कभी तुम किधर थे ,आज हम किधर हैं ..
कभी आ के गए कभी हम आये बार बार
कभी कुछ न पुछा ,कभी हम रोये बार बार
कुछ गुस्ताखियाँ हुईं , कुछ लम्हों का फासला हुआ ..
कुछ दिन बीत गए ,कुछ रात ने कहा ..
कुछ इठलाती बेज़ुबानी थी ,कुछ और ही कहानी थी
कुछ मंजिले हंसी थी , कभी रात कोई रूहानी थी
कभी बांटते थे हम ज़िन्दगी कभी मांगते थे कोई रिश्ता
कभी संग बूंदों के ,कोई मस्त सी कहानी थी
कभी दुआ में उठते थे हाथ ,कभी सोयी हुई रुबानी थी
कुछ कह के गए कभी कोई बात जो पुरानी थी
कुछ सुन के हम न बोले ,युहीं हम मौन थे ..
आज पूछते हम हमीं से के हम उनके कौन थे ..
(चित्र गूगल से )