Saturday 28 April 2012

घने बरगद के नीचे


गर्मी के मौसम में घने बरगद के नीचे 
जाने कितने बरस बचपन के हमने सीचें 
वो कंचों की गोली ,वो आँख मिचोली 
वो दोस्तों की टोली ,वो प्यार के छींटे 

जेठ का महीना ,जब आया पसीना
सुर्ख तरबूजों से वो रस भर भर के पीना 
आम के बाग़ से आमों की झपटी -छीना 
कोयलों की बोलियों पे कूक के हम भी बोले 

ठंडी रात में हाथ से पंखा झलती 
आँचल में माँ के वो मुलायम हथेली 
घर की छतों पे ,तारों के नीचे 
जाने कितने पल बचपन के हमने सींचे ..
(चित्र गूगल से )

25 Comments:

At 28 April 2012 at 22:08 , Blogger ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुंदर............
बचपन मीठी यादों का खजाना होता है......................

 
At 28 April 2012 at 22:45 , Blogger Arun sathi said...

bachpan ki yad aa gai...badhai....

 
At 29 April 2012 at 00:20 , Blogger Anupama Tripathi said...

मर्म को छूटी हुई बचपन कि यादें ....
बहुत सुंदर रचना ...
शुभकामनायें ...

 
At 29 April 2012 at 00:22 , Blogger Anupama Tripathi said...

क्षमा करें .......*छूती हुई ....है ,टंकण गलत है .

 
At 29 April 2012 at 06:37 , Blogger रश्मि प्रभा... said...

गर्मी के मौसम में घने बरगद के नीचे
जाने कितने बरस बचपन के हमने सीचें
वो कंचों की गोली ,वो आँख मिचोली
वो दोस्तों की टोली ,वो प्यार के छींटे
.... यादें कितनी प्यारी होती हैं

 
At 29 April 2012 at 18:24 , Blogger वाणी गीत said...

बचपन के कितने खूबसूरत पल जीवंत हो उठे ...तपती दुपहरिया बिना कूलर भी इतनी गर्म नहीं लगती थी !
मीठी लगी पोस्ट !

 
At 29 April 2012 at 19:06 , Blogger RITU BANSAL said...

धन्यवाद व आभार !

 
At 29 April 2012 at 19:37 , Blogger udaya veer singh said...

बहुत सुंदर रचना ...

 
At 29 April 2012 at 19:37 , Blogger udaya veer singh said...

बहुत सुंदर रचना ...

 
At 29 April 2012 at 20:12 , Blogger रजनीश तिवारी said...

बचपन की यादें ताजा हो गईं इस सुंदर रचना से ...आभार

 
At 29 April 2012 at 20:44 , Blogger soumyasrajan said...

so sweet ritu
I remember that old song
bachpan ke din bhi kay din the
udte phirte titali ban
----

 
At 29 April 2012 at 20:47 , Anonymous soumyasrajan said...

so sweet Ritu
I remember an old movie song

bachpan ke din bhi kya din the
udte phirte titali ban
soumyasrajan

 
At 29 April 2012 at 22:31 , Blogger ZEAL said...

Nostalgia is overpowering me. Thanks for this beautiful creation.

 
At 29 April 2012 at 23:18 , Blogger मनोज कुमार said...

कविता के भव मन को छूते हैं।

 
At 30 April 2012 at 04:57 , Blogger अनुपमा पाठक said...

Beautiful!
Revisiting childhood memories is always fun:)

 
At 30 April 2012 at 05:38 , Blogger M VERMA said...

बचपन की यादों को टटोलती रचना

 
At 30 April 2012 at 08:00 , Blogger Anju (Anu) Chaudhary said...

खूबसूरत यादे और एहसास बचपन के ..

 
At 30 April 2012 at 08:57 , Blogger रचना दीक्षित said...

ठंडी रात में हाथ से पंखा झलती
आँचल में माँ के वो मुलायम हथेली
घर की छतों पे ,तारों के नीचे
जाने कितने पल बचपन के हमने सींचे ..

दिल की आवाज है यह कविता.

बधाई.

 
At 30 April 2012 at 09:23 , Blogger प्रेम सरोवर said...

ठंडी रात में हाथ से पंखा झलती
आँचल में माँ के वो मुलायम हथेली
घर की छतों पे ,तारों के नीचे
जाने कितने पल बचपन के हमने सींचे ..

बचपन की स्मृतियों को बहुत ही बारीकी से बयां किया है । मरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।

 
At 1 May 2012 at 01:00 , Blogger मेरा मन पंछी सा said...

बचपन की यादो क सुन्दर वर्णन
सुन्दर रचना....

 
At 1 May 2012 at 05:53 , Blogger Shri Sitaram Rasoi said...

अतिसुन्दर कविता है। आपने तो गर्मी भी तरबूज और आम खिला कर खुश कर दिया।

 
At 1 May 2012 at 07:55 , Blogger अशोक सलूजा said...

बचपन की अनमोल यादेँ ....हर खजाने पे भारी हैं......
शुभकामनाएँ!

 
At 3 May 2012 at 21:37 , Blogger सदा said...

यादों का अनमोल खज़ाना ... अनुपम भाव संयोजन ।

 
At 15 July 2012 at 01:28 , Anonymous Anonymous said...

sweet poem.loved it.keep up ur good work.

 
At 15 July 2012 at 01:29 , Anonymous Anonymous said...

good poem . keep it up dear

 

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