बारिश की बूँदें ...
(कुछ समय किसी कारणवश अनुपस्थित रही..आशा है आप सभी कलमदान से जुड़े रहेंगे ..)
कौन गली से आये हो तुम बदरा.
आज नैना मिलाये हो
प्यासे इस तन मन पे बरबस रस की फुहार कर जाए हो .
चन्द बुलबुलों से खेलता फिसलता पानी,
इठलाती झड़ियों में बारिश की करता मनमानी
यूँ रिमझिम रुमझुम गुनगुनाता
हथेलियों से निकल कर बाँहों में भरता पानी
रोकें कैसे इस मौसम में मस्त हुए जाते हैं
इन घटाओं से बादलों से बुदबुदाते हैं
सराबोर करती हैं ये मासूम झड़ियां
इस बरसात में हम खोये जाते हैं