Tuesday, 20 December 2011

परोपकार

एक पेड़ कितने परोपकार का जीवन जीता है ,यह शब्दों में  बयान कर पाना अति कठिन है...एक सादगी भरा जीवन ,सहनशक्ति से परिपूर्ण ,और दूसरों के लिए खुद को न्योछावर कर देना ,ये सब एक वृक्ष सिखाता है..
क्या जीवन है ..!
अपने लिए कुछ नहीं ,निम्न पदार्धों से अपने जीवन की पूर्ती करते हुए वह हमें असंख्य रूपों में संजीवनी प्रदान करते हैं..सदाचार का चोला पहने ,बाहों में कितने ही जीवन को संजोये ये वृक्ष अपने आँचल से हमें स्नेहमयी ममता की अनुभूति देते हैं..परम सौभाग्यशाली हैं वे ,जिन्हें वृक्षों का आँचल नसीब होता है..जब मस्त पवन के झोंके बहते हैं तो ये सुमधुर लय से क्रीडा करते हैं..इनके जैसा मनभावन आदर्श, योग्य कोई नहीं ,इनके समकक्ष जीवन जी पाना कठिन ही नहीं नामुमकिन है ..
मात्र जल व वायु के भोजन से कभी ये हमें पुष्पों से तो कभी रसभरे फल देकर  हमें 'सिर्फ देना है ,लेना कुछ भी नहीं' का अर्थ समझाते हैं..
आज अपने आँगन में लगे केले के पेड़ से जब मैंने फल खाया तो आनंद से नेत्र अश्रित  हो गए..
हमारे जीवन में हम कितनी अपेक्षाएं रखते हैं ,कितने व्यवाहर का रास्ता तकते हैं और अपने कर्तव्यों को अक्सर अनदेखा कर देते हैं ..
और ये वृक्ष ..इसे तो बस मैं सिर्फ पानी देती हूँ ,शेष तो वो खुद ही ले लेता है ,और वापसी में उसने मुझे गुच्छा भर के फल दिए..!
जिन्हें मैंने न सिर्फ अपने परिवार में अपितु मित्रों में भी बाटां..
महान हैं ये ..इनके जीवन को कोटि कोटि प्रणाम व वंदन..!

3 Comments:

At 20 December 2011 at 09:35 , Blogger Rakesh Kumar said...

उस दयामय कृपामय प्रभु ने हमे क्या नही दिया.
सद्बुद्धि से ही हमे उसके दिए का अहसास होता है.
आपके सुन्दर विचार बहुत ही अच्छे लगे,ऋतू जी.

आपका फालोअर बन रहा हूँ.

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

 
At 20 December 2011 at 21:06 , Blogger Atul Shrivastava said...

काफी कुछ सीखा जा सकता है वृक्षों से, प्रकृति से......
प्रेरक पोस्‍ट।

 
At 21 December 2011 at 00:05 , Blogger Kailash Sharma said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति...

 

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