खोज
घट घट ,घट भर रहा
तू फिर भी न डर रहा
पल, पल पल मर रहा
क्यों सोचे क्या अमर रहा
भोग भोग, भोग में मगन रहा
कभी ज़मी ,कभी गगन रहा
योग,योग योग न भजन रहा
अब सोचे जब मर रहा ?
दल ,दल दल में धंस रहा
करनी तेरी तू फंस रहा
कल कल कल करता रहा
अपने ही पथ चलता रहा
सोच ,सोच सोच को बदल
आवरण से तू निकल
खोज खोज खोज है तुझीमें
तेरी राह 'वो' तक रहा ...
तू फिर भी न डर रहा
पल, पल पल मर रहा
क्यों सोचे क्या अमर रहा
भोग भोग, भोग में मगन रहा
कभी ज़मी ,कभी गगन रहा
योग,योग योग न भजन रहा
अब सोचे जब मर रहा ?
दल ,दल दल में धंस रहा
करनी तेरी तू फंस रहा
कल कल कल करता रहा
अपने ही पथ चलता रहा
सोच ,सोच सोच को बदल
आवरण से तू निकल
खोज खोज खोज है तुझीमें
तेरी राह 'वो' तक रहा ...
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