छाँव
जहां तू बसे ,जो हो प्यारा मनोहर ,
मुझे ऐसी धरती ,ऐसा गाँव दे दो ,
उस घने पीपल की घनी पत्तियों से
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
जो थिरके सुमधुर तुम्हारी ही धुन पर
मुझे ऐसे पावन पाँव दे दो
वो सुन्दर सी पीली ओढ़नि में
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
तुम्ही में रहूँ ,मैं तुम्ही में बसूँ
मुझे ऐसे कोमल भाव दे दो
उठती गिरती घनी पलकों में से
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
लम्बा सफ़र है, जाना है पार
मुझे ऐसा नाविक ,ऐसी नाव दे दो
तुम्हारे ही आँचल में सो कर न उठूँ
मुझे ऐसे आँचल की छाँव दे दो
मुझे ऐसी धरती ,ऐसा गाँव दे दो ,
उस घने पीपल की घनी पत्तियों से
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
जो थिरके सुमधुर तुम्हारी ही धुन पर
मुझे ऐसे पावन पाँव दे दो
वो सुन्दर सी पीली ओढ़नि में
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
तुम्ही में रहूँ ,मैं तुम्ही में बसूँ
मुझे ऐसे कोमल भाव दे दो
उठती गिरती घनी पलकों में से
मुझे मेरे हिस्से की छाँव दे दो
लम्बा सफ़र है, जाना है पार
मुझे ऐसा नाविक ,ऐसी नाव दे दो
तुम्हारे ही आँचल में सो कर न उठूँ
मुझे ऐसे आँचल की छाँव दे दो
5 Comments:
one of the best till date ... after chai and kalam ..
- Rahul Bansal
thanks...your words r my inspiration..
Wow... you write really good, didi... :)
thanks Himanshu..!!
I read this before and loved it. Today read it again and loved it again.
Savita Auntie
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