Thursday, 24 November 2011

राहत तो दिलों कोजोड़ने का जरिया है ,किस से पूछें उस राहते मैखाने का पता..


जब शब्द कुछ और कहें और मन कुछ और तो समझ लेना चाहिए की मन के वीराने में अँधेरे रास्तों पर एक दिया जलाने की ज़रुरत है..कई बार मन के रिश्तों को तन की भाषा से जोड़ा नहीं जा सकता ,कभी आवाज़ आती है  तो कभी शब्द सुनाई नहीं देते.
.ज़िन्दगी जब एक राह पे चली जा रही हो तो उन रास्तों पे धीमे से पानी की फुहार दाल देने से जो सुगंध आती है उस से रोम रोम प्रफुल्लित हो जाता है.
..ठीक उसी तरह कशमकश से गुज़र रहे हों तो एक भरपूर सांस जो गहराई से जा कर दिल का दीदार कर आये..उस सांस की आवाज़ को ही अपने दिल की आवाज़ समझ लेना चाहिए..

2 Comments:

At 28 November 2011 at 16:44 , Blogger Savita Tyagi said...

Well said. I like your blog. Keep it up.

 
At 28 November 2011 at 20:20 , Blogger RITU BANSAL said...

thanks aunty..keep pouring your words of encouragement..they are a source of inspiration...! :)

 

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