Wednesday 28 December 2011

कलम

शब्द जुबां के  मोहताज़ नहीं हैं ..ये तो कलम के फ़रिश्ते हैं..
बिन बोले ही ह्रदय की संवेदनाओं को परत दर परत उतार देतें हैं प्रष्ठ्भूमी पर ,अलंकृत कर देतें हैं उस बेरंगीन किताब के असंख्य पन्ने ..और बनते हैं कितने ही मन की जुबां..
ये कलम की रोशनाई नहीं ,दिल में बैठी हुई आत्मा का प्रतिबिम्ब है..जिन शब्दों के एहसास को जुबां कभी भी समझा नहीं सकती ,वो शब्द कलम की जुबा से कितनी तेज़ी से दिलों पर राज़ कर लेते हैं ,उसकी गवाही देतीं हैं वो असंख्य किताबें जिन्हें पढ़ के कितने ही लोगो ने अपना मार्गदर्शन किया है..
मुश्किल परिस्थतियों में जुबां की आवाज का अभिप्राय समझ पाने  का बल मष्तिस्क खो देता है ,तब प्यारी सी चिट्ठी वो काम कर देती है जो सोचा भी नहीं जा सकता..कलम की ताकत तो तलवार से भी अधिक है..
गीत संगीत की रचना से लेकर महान उपनिषद वेद व कितने ही चलचित्रों की कहानियां इस कलम की कोख में जनम लेती हैं..
लेखक से विश्वास की डोर से बंधी होती है कलम ,उसका जीवन होती है कलम,इत्रदान में ज्यों इत्र सुगंध बिखेरता  है ,उसी प्रकार कलम रुपी इत्रदान अपने शब्दों की सुगंध चहु ओर बिखेरते हैं..कलम विश्वास व सच्चाई की प्रतीक है ,ये अनगिनत वर्षों से मनुष्य की साथी बनकर उसे निरंतर अग्रसर रहने  व जीवन में समर्पण के  भाव से रूबरू कराती है 
इसीलिए न्यायाधीश के हाथों फांसी का सन्देश लिखने के बाद ,दुःख और संताप से वो  खुद को पहले समाप्त कर देती है..
है इसके सामान जीवन किसीका..

10 Comments:

At 28 December 2011 at 22:59 , Blogger Rakesh Kumar said...

आपके सुन्दर विचार प्रभावित करते है.

आप अपनी कलम से सदा ही सुन्दर दान करती रहें
यही दुआ और कामना है.

आने वाले नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा,रितु जी.

 
At 28 December 2011 at 23:44 , Blogger Yashwant R. B. Mathur said...

कल 30/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

 
At 29 December 2011 at 18:14 , Blogger रजनीश तिवारी said...

कलम की महिमा पर सुंदर लेखन । शुभकामनाएँ ।

 
At 29 December 2011 at 20:22 , Blogger Atul Shrivastava said...

बेहतरीन विचार.....
सच कहा आपने।

नववर्ष की शुभकामनाएं.......

 
At 30 December 2011 at 00:05 , Blogger आशा बिष्ट said...

achchhi prastuti...

 
At 30 December 2011 at 00:56 , Blogger मेरा मन पंछी सा said...

sahi kaha apne ek lekhak ke liye kalam hi usaka jivan hota hai....jo uski soch ko ek jivant rup deta hai.....
kalam or lekhak par acchi prastuti hai....

 
At 30 December 2011 at 02:05 , Blogger अनामिका की सदायें ...... said...

sach kaha kalam me vo dam he jo teer.talwar me nahi.

 
At 30 December 2011 at 06:06 , Blogger कौशल किशोर said...

bahut achhi panktiyan ,......
badhai...

 
At 31 December 2011 at 02:03 , Blogger सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

नववर्ष की अनंत शुभकामनाओं के साथ बधाई ।

 
At 3 January 2012 at 19:04 , Blogger Dr.NISHA MAHARANA said...

लेखक से विश्वास की डोर से बंधी होती है कलम ,उसका जीवन होती है कलम,इत्रदान में ज्यों इत्र सुगंध बिखेरता है.बेहतरीन प्रस्‍तुति.

 

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