कलमदान
यह एक ऐसा पट है जहां ज़िन्दगी के अनुभव एक चाय के प्याले में जीवन की मिश्री और रंग के सामान घुले हुए नज़र आते हैं..बस ज़रुरत है तो एक घूँट पीने की .. This is a platform to melt the emotions into the cappuccino of LIFE..and then sip the creamy effervescence of experiences..!!
Friday 31 July 2015
Monday 20 July 2015
अपनापन ...
कुछ अपनों को , अपना बनाने में
हम अपनापन खोते रहे
कुछ गैरों से उनको बचाने में
हम अपनापन खोते रहे
ताउम्र मिली तकलीफों में
उनको आजमाने में ,
हम अपनापन खोते रहे
हर रोज़ बदलते मयखानों में
हम अपनापन खोते रहे
कुछ रिश्ते अनजानों में
हम अपना पन खोते रहे
कहीं किन्हीं गिरेबानों से
हम अपनापन खोते रहे..