Wednesday 30 November 2011

प्रेम

रोज़ सवेरा होता है रोज़ दिन निकलता है रोज़  दिन ढलता है और रोज़ शाम होती है ..अँधेरे उजालों में और फिर उजाले अंधेरों में ..
उजालों का स्वागत होता है वहीँ अंधेरों को सभी भूल जाना चाहते हैं ,सपनों में खो कर..सो कर ..
और इन उजाले अंधेरों से हमें रूबरू कराने वाली है एक ऐसी प्रेम की पुजारन ,एक व्याकुल सुह्रिदया ,मनमोहिनी ,स्व अलंकृत ,इन्द्रधनुषी रंगों से सराबोर ,हमारी अपनी  धरती माँ ..
हम चल रहे हैं और चल रही है ये धरती भी..हम जी नहीं रहे हमें जिला रही है ये धरती ..निरंतर ,लगातार बस चली जा रही है..उसे किसी की परवाह नहीं ,वो तो बस प्रेम में मग्न अपने प्राण प्रिये की परिक्रमा कर के उसे ये बताने को व्याकुल है की उसे उस से कितना प्यार है ..लट्टू है वो उसके प्यार में ..सब कुछ सहेगी पर उसके चारों ओर नाच नाच कर सदैव अपने प्राणेश्वर को लुभाती रहेगी..इठलाती रहेगी ..
मिलन में ताप है ..वो जल जायेगी उसके प्यार से ,इसलिए दूर रह कर ही अपनी कशिश से उसे लुभाएगी ये धरती ..
वो माँ है बेटी भी है पर सबसे पहले वो उस प्रकाश पुंज की विभूति है ..एक पल के लिए भी वो रुक कर अपने प्यार को खोने नहीं देगी.. अटल है उसका प्यार , पवित्र है उसका दुलार ,एक डोर से बंधी है वो उस के साथ..
उसने कितने ही वारिस जन्मे हैं..कितने पुत्रों के बलिदान से कभी उसका शीर्ष उज्जवल हुआ ..कभी उसी के पुत्रों ने उसका शारीर छलनी किया ...पर फिर भी अपने समर्पण की पवित्रता से अपने प्रेमी को उसने सदा ये सांत्वना दिलाई  की वो प्रयासरत है..वो बुझेगी नहीं ..वो रुकेगी नहीं ..निरंतर उसके बताये रास्तों पर चल कर उसी का अनुसरण करेगी..
विश्वास है उसे ,उसके अस्तित्व पर ,वो विशालकाय ह्रदय वाली है ,अति संमृद्ध प्रयत्नरत, ममतामयी और एक  कुशल जननी है ..
उसकी गोद में असंख्य संताने है उसकी जिन्हें वो बड़े लाड प्यार से बड़ा करती है ..परन्तु उसकी नज़रें तो बस उसके स्वामी पर टिकी हैं ,वो दासी है उनकी , भूलेगी नहीं वो अपने प्राण प्रिये के प्यार को ..
समझना चाह कर भी इसके प्यार बलिदान को नहीं समझ पाएंगे ..ऐसा प्यार ,जिसमे सिर्फ अगन है दूरी है पर फिर भी वो असीम , निष्कलंक  है ,मनमोहक  है ..ऐसा समर्पण जिसमे जीने की प्रेरणा है मकसद है ,..वो सिर्फ पृथ्वी  और सूर्यदेव का ही है ..और किसी का नहीं..

Monday 28 November 2011

कलम

शब्द जुबां के  मोहताज़ नहीं हैं ..ये तो कलम के फ़रिश्ते हैं..
बिन बोले ही ह्रदय की संवेदनाओं को परत दर परत उतार देतें हैं प्रष्ठ्भूमी पर ,अलंकृत कर देतें हैं उस बेरंगीन किताब के असंख्य पन्ने ..और बनते हैं कितने ही मन की जुबां..
ये कलम की रोशनाई नहीं ,दिल में बैठी हुई आत्मा का प्रतिबिम्ब है..जिन शब्दों के एहसास को जुबां कभी भी समझा नहीं सकती ,वो शब्द कलम की जुबा से कितनी तेज़ी से दिलों पर राज़ कर लेते हैं ,उसकी गवाही देतीं हैं वो असंख्य किताबें जिन्हें पढ़ के कितने ही लोगो ने अपना मार्गदर्शन किया है..
मुश्किल परिस्थतियों में जुबां की आवाज का अभिप्राय समझ पाने  का बल मष्तिस्क खो देता है ,तब प्यारी सी चिट्ठी वो काम कर देती है जो सोचा भी नहीं जा सकता..कलम की ताकत तो तलवार से भी अधिक है..
गीत संगीत की रचना से लेकर महान उपनिषद वेद व कितने ही चलचित्रों की कहानियां इस कलम की कोख में जनम लेती हैं..
लेखक से विश्वास की डोर से बंधी होती है कलम ,उसका जीवन होती है कलम,इत्रदान में ज्यों इत्र सुगंध बिखेरता  है ,उसी प्रकार कलम रुपी इत्रदान अपने शब्दों की सुगंध चहु ओर बिखेरते हैं..कलम विश्वास व सच्चाई की प्रतीक है ,ये अनगिनत वर्षों से मनुष्य की साथी बनकर उसे निरंतर अग्रसर रहने  व जीवन में समर्पण के  भाव से रूबरू कराती है 
इसीलिए न्यायाधीश के हाथों फांसी का सन्देश लिखने के बाद ,दुःख और संताप से वो  खुद को पहले समाप्त कर देती है..
है इसके सामान जीवन किसीका..

Sunday 27 November 2011

Taste of life

When once you garnish love over emotions,the sauces of life over the 'kababi zindagi'...you realize the real taste of the snacky ,fried life
...the many ingredients of the variety of recipes , add to the flavor of the sometimes 'hot and spicy'life...
the cruel and ha!  the merciful life!!!
my grudge with the feeling of admiration,will never stop me into biting the ' grilled sandwich 'of  the various synonyms of life
...the daily bread of my very ambiguous life leads to the appetite of my very hungry soul..


'जादूगर'

जादू से आँखें आश्चर्यचाकित थी,ये नज़रों का धोखा था या हाथ की सफाई,पल पल में रूप रंग स्वतः ही बदल जाता था ,या आसमानी ताकत आ कर मदद कर रही थी ..कुछ ऐसे ही विचार मन में थे
 ..ये मेरा नजरिया था..
वहीँ दूसरी और कई बच्चे अपनी मासूम संवेदनाओं को समेटे  मूंह  को खोले आँखों में आश्चर्य व अस्मिता का भाव लिए टकटकी लगाये देख रहे थे उस जादूगर को ..वो प्रयास कर रहे थे पहचानने का..जानने का..की इस सब के पीछे क्या है..उन्हें डर भी था..उस जादूगर से..पर आनंद भी था ..कभी भाव विभोर हो पुलकित मन से ज़ोरदार तालियाँ बजाते..कभी सहम कर माता पिता की गोदी में सिमट जाते..ऐसे ही कब द्रश्य बदल जाता पता ही न चलता .बच्चों के मन के पावन पटल पर उस जादूगर ने तो राज़ कर लिया था 
कुछ इसी तरह से हम है उस 'जादूगर' के सामने एक नन्हे बच्चे की तरह.हैं .जो समझ नहीं पाता की वो 'उस' की हाथ की सफाई थी ,या 'बल प्रदर्शन'..वो हमें सबकुछ स्तब्ध करने के लिए कर रहा है या आनंद देने के लिए..वो हमारे सामने आता है ,पर पोशाक बदल बदल के..
पर आज एक 'बड़े' के रूप में हमने वो जज़्बात और आनंद विभोर होने के भाव खो दिए हैं..हम भूल गए है की 'उस' जादूगर के सामने इंसान चाहे कितनी भी उम्र का क्यों न हो ..बच्चा है..उसके 'जादू'को समझ पाने का सामर्थ्य हम में नहीं..एक-दो खेल वो हमें सिखला देता है ,खेल खेल में ..पर 'बड़े जादुओं' का राज़ वो अपने तक ही रखता है..समझना हो जानना हो तो खोजो जवाब..अपनेआप.....

Saturday 26 November 2011

कर

उँगलियों की भी अजीब दास्ताँ है...कर को पकडे हुए करने को प्रेरित करती हैं..ख़ोज में रहती हैं ..
एक विश्वास के डोर से बंधी हैं ये उंगलियाँ..
एक दुसरे से कितनी अलग पर साथ ,जैसे मन की बातों को पढ़ लेती हों ,
कभी सुमुधुर गीत रचतीं या कभी गुदगुदा के मुस्कुरातीं ,कभी स्वरों का आलिंगन कर मस्त नाचती  और कभी छलक पड़ें तो आंसुओं को संभालतीं..
हथेलियों का अंजुमन बना कभी प्यासे को तृप्त कर  देती ,और कभी संदेशवाहक बन मष्तिष्क को निर्णय करने में सहायक बनती ,..ये कर्म रण की उपासक उंगलियाँ.
शब्द नहीं तो  कभी आलिंगन बन , और कभी करबद्ध हो उपकार जताती और  कभी प्यारे के प्यार में  स्वतः ही एक दुसरे से बंध जाती ..भिन्न भिन्न किरदारों में हैं  फिर भी हमजोली बन जाती ..
ये दर्शक हैं उन कर्मों की ,जिन को कर के कर को भूल गए हम..ये प्रदर्शक हैं उन पथों की जिनपर राह भटक गए हम..
फिर भी क्यों झूझा है मानुस अपनों से ही उलझा है,अपने ही करों में शक्ति है प्रेरणा है ,फिर भी न जाने कितना जग उस से या वो जग से रूठा है 

Friday 25 November 2011

Feelings..

True to the heart feelings seldom come and go unnoticed,it is only if you yourself have driven the entire emotional significance into deep dungeons of your conscience.Such is the voice of the superimposed that all magnificence lies below its sovereignty ..
Once if the energy of heart captures you,don't let the enthusiasm fade..the truth is that life gives you the unforeseen advantage of belonging to the real you..don't let the indisposition of the surroundings overcome you..thoughts go into the vicinity of the conscience and churn out the feelings of truth,give yourself to bear the simple ..even if it is a melancholy song..

Thursday 24 November 2011

अखबार

ज़िन्दगी में  बीते हुए कल के दिन का महत्व उस अखबार की तरह है जिसे हम आज पढ़ कर रद्दी में फेंक देते हैं..
होना भी चाहिए ,अखबार के पन्ने ,दिन में बिताए हुए घंटों की तरह होते हैं,हर घंटे का एक शीर्षक होता है..जिस से हम उस समय में बिताए हुए दिन का विश्लेषण करते हैं..बस उतनी ही सामग्री अखबार में से दिमाग में जगह बनाती है जितनी हम  याद  रखना चाहते हैं..ठीक उसी प्रकार पूरे दिन में से भी बस उन्ही पलों को याद रखो जिन्हें कभी काम में लाना है..बाकी सब रद्दी के हवाले कर दो..
जो चंद पलों में कभी आवश्यकता पड़े तो ज़िन्दगी के अखबार के पन्नो को वापस पलट कर याद कर लेना वो पलछिन..खूब रश्क में बिताए हुए समय के प्रभाव से आने वाले कल के दीदार के लिए अपने आप को संभाले रखना..वही वो अखबार है जिसका पूरा सम्पादकीय उसने लिखा है जिसे तुम जानते भी नहीं..

राहत तो दिलों कोजोड़ने का जरिया है ,किस से पूछें उस राहते मैखाने का पता..


जब शब्द कुछ और कहें और मन कुछ और तो समझ लेना चाहिए की मन के वीराने में अँधेरे रास्तों पर एक दिया जलाने की ज़रुरत है..कई बार मन के रिश्तों को तन की भाषा से जोड़ा नहीं जा सकता ,कभी आवाज़ आती है  तो कभी शब्द सुनाई नहीं देते.
.ज़िन्दगी जब एक राह पे चली जा रही हो तो उन रास्तों पे धीमे से पानी की फुहार दाल देने से जो सुगंध आती है उस से रोम रोम प्रफुल्लित हो जाता है.
..ठीक उसी तरह कशमकश से गुज़र रहे हों तो एक भरपूर सांस जो गहराई से जा कर दिल का दीदार कर आये..उस सांस की आवाज़ को ही अपने दिल की आवाज़ समझ लेना चाहिए..

Wednesday 23 November 2011

स्वागत लेख ..

स्वागत  लेख ..

'कलमदान' में आपका स्वागत है..
'कलमदान' वो पट है जिसमें मनः पटल पर उभरती  भाँती भाँती की विचारधाराओं का संग्रह होगा ..
जिस प्रकार कलमदान में भिन्न भिन्न प्रकार की कलमें सजी होती हैं व हर कलम का अपना अलग स्थान होता  है..हर कलम अलग अलग लेखन के लिए उपयोग में लायी जाती है ,ठीक उसी प्रकार इस पट पर भी हम अलग अलग संवेदनाओं व भावनाओं को एकत्र करेंगे..
आशा है इस माला के मोती बन आप  मुझे एक पुष्पहार पिरोने में मदद करेंगे..

धन्यवाद